1. गले का दर्द – यदि किसी व्यक्ति के गले में दर्द हो रहा हो तो
उसके लिए बेल बहुत ही लाभकारी फल सिद्ध होता हैं. गले के दर्द को दूर करने के लिए
पके हुए बेल का गूदा लें और उसे दिन में 3 या 4 बार खाएं. 4 या 5 दिनों तक लगातार
बेल के गूदे का सेवन करने से कुछ ही दिनों में आपके गले का दर्द ठीक हो जाएगा.
2.नपुसंकता – यदि किसी पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या कम हो
गई हैं. जिसके कारण उसमें नपुसंकता के लक्षण आ गयें हैं तो उसके लिए भी बेल का फल
बेहद लाभप्रद होता हैं. नपुसंकता को दूर करने के लिए 15 बेल के पत्ते लें, 2 बादाम
की गिरी लें, 300 ग्राम चीनी लें. अब इन तीनों को मिलाकार बेल की पत्तियों का रस
बना लें और उसका सेवन प्रतिदिन करें. लगातार इस रस का सेवन करने से आपको इस समस्या
से जल्द ही मुक्ति मिल जायेगी.
3.फोड़ा – यदि किसी व्यक्ति को कोई जख्म या फोड़ा हो गया हो तो वह इसे
ठीक करने के लिए भी बेल का प्रयोग कर सकता हैं. इसके लिए बेल के कुछ पत्ते लें और
उसे मोटा – मोटा पीसकर लेप बना लें. अब इस लेप को थोडा गर्म कर लें और इसे फोड़े या
जख्म पर लगाकर साफ कपडे से बांध दें. बेल के पत्ते के लेप को लगाने से जल्द ही
फोड़ा सुख जाएगा.
4.रक्ताल्पा – अगर आपके शरीर में खून की कमी हो गई हैं तो शरीर
में खून की पूर्ति करने के लिए भी आप बेल का प्रयोग कर सकते हैं. शरीर में खून की
पूर्ति करने के लिए एक गिलास दूध लें और उसमें बेलगिरी का चुर्ण डालकर मिलाकर इस
दूध का सेवन करें. दूध में बेलगिरी का चुर्ण मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से आपके
शरीर में खून की पूर्ति हो जायेगी. CLICK HERE TOO READ MORE ABOUT बेल एक उपयोगी फल ...
Bel ka Aayurvedic Istemal |
5. कुत्ता खांसी – कुत्ता खांसी से राहत पाने के लिए भी आप बेल
के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं. कुत्ता खांसी के लिए बेल के पत्ते बहुत ही
उपयोगी होते हैं. इसके लिए बेल के 10 या 12 पत्ते लें और इन्हें गर्म तवे पर डालकर
जला लें. जब सभी पत्तें अच्छी तरह से जल जाएँ तो इन्हें मसल कर बारीक कर लें. अब
पत्तों के इस चुर्ण में थोडा शहद मिला लें और इसे दिन में दो या चार बार चाटें.
लगातार इस चुर्ण को चाटने से कुत्ता खांसी जल्द ही ठीक हो जाएगी.
6. प्रदर रोग – यदि किसी महिला को श्वेतप्रदर या रक्तप्रदर की
शिकायत हो तो वह इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी बेल का इस्तेमाल कर सकती
हैं. प्रदर रोग से मुक्ति पाने के लिए 20
ग्राम बेलगिरी लें, 20 ग्राम नागकेसर लें तथा 20 ग्राम रसौत लें. अब तीनों को एक
साथ मिलाकर खूब बारीक़ पीस लें. अब एक चम्मच चुर्ण चावल के मांड में डालकर मिला लें
और इस मांड का सेवन करें. रोजाना मांड में इस चुर्ण को मिलाकर पीने से महिला को इन
दोनों ही प्रदर रोग से राहत मिल जाएगी.
7. दिमागी गर्मी – दिमागी गर्मी को शांत करने के लिए बेल बहुत ही
लाभदायक होता हैं. दिमाग की शांति के लिए बेल के 5 या 7 पत्ते लें और इन्हें पानी
के साथ पीस लें. अब इस लेप को सोते समय अपने मस्तिष्क पर लगा लें. इस लेप को लगाने
से आपके दिमाग को शांति तो मिलेगी ही इसके साथ ही यदि आपकी आँखों में जलन होती या
पानी गिरता हैं तो इन परेशानियों से भी आपको छुटकारा मिल जाएगा.
8. बहुमूत्र – बेल का फल मूत्रावरोध की
भांति ही बहुमूत्र की समस्या के निदान हेतु भी बहुत ही फायदेमंद होता हैं. इस
समस्या से छुटकारा पाने के लिए 20 ग्राम बेलगिरी लें, 10 ग्राम सौंठ लें तथा आधा
लीटर एक बर्तन में पानी लें. पानी में सौंठ और बेलगिरी को डालकर पानी को तब तक
उबालें जब तक की बर्तन का पानी आधा न हो जाए. जब बर्तन में पानी आधा रह जाये तो इस
पानी को उतार लें और कुछ देर रुक कर इस पानी को छान कर इसका सेवन करें. आपको शीघ्र
ही बहुमूत्र की समस्या से राहत मिल जायेगी.
9.दस्त – यदि कोई व्यक्ति लगातार दस्त होने से परेशान हो गया हैं तो
वह दस्त को ठीक करने के लिए बेल का प्रयोग कर सकता हैं. दस्त की समस्या से
छुटाकारा पाने के लिए 8 ग्राम बेलगिरी का चुर्ण लें और एक चौथाई ग्रेन अफीम ले. अब
इन दोनों को मिला लें और इस चुर्ण का सेवन दिन में दो या चार बार करें. दो या चार
दिनों तक इस चुर्ण को खाने से आपको शीघ्र ही दस्त से निजात मिल जायेगा.
1. यदि आपको पतले दस्त हो रहें
हैं तो इसके लिए आप बेल का इस्तेमाल एक और तरीके से कर सकते हैं इसके लिए कच्चे
बेल का काढ़ा बना लें और उसका दिन में दो बार अर्थात सुबह – शाम सेवन करें.
2.यदि किसी व्यक्ति को पित्त
के कारण दस्त हो रहें हैं तो उसके लिए भी बेल का फल बेहद लाभदायक सिद्ध होता हैं.
इसके लिए आप बेल के मुरब्बे का प्रयोग कर सकते हैं.
3.यदि किसी छोटे बच्चे को
दस्त हो रहें हैं तो भी बेल बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता हैं. बच्चे को दस्त से
राहत दिलाने के लिए कच्चे बेल को आग में भून लें. अब इस भूने हुए बेल को पानी में
डालकर शर्बत बना लें और बच्चे को दिन में दो बार पिलायें. कुछ समय में ही बच्चे को
दस्त होने बंद हो जायेंगे.
10.रतौंधी – रंतौंधी के रोग को दूर करने के लिए भी बेल का फल अधिक उपयोगी
होता हैं. इस रोग से मुक्ति पाने के लिए बेल के पत्ते लें और इन्हें पानी के साथ
महीन पीस लें. पिसने के बाद इसमें थोड़ी चीनी डालें और इस रस को पीलें. लगातार इस
रस का सेवन करने से आपको जल्द ही रतौंधी के रोग से छुटकारा मिल जायेगा.
11.पीलिया तथा सूजन – यदि किसी व्यक्ति को
पीलिया हो गया हो और इसके कारण ही उसके शरीर में सूजन आ गई हो तो उसके लिए बेल का
फल बहुत ही फायदेमंद होता हैं. पीलिये के रोग तथा सूजन से मुक्त करने के लिए बेल
की पत्ती का रस लें और कालीमिर्च का पाउडर लें. अब बेल की पत्ती के रस में कालीमिर्च
का पाउडर अच्छी तरह से मिलाकर इस रस का सेवन करें. कुछ ही दिनों के अन्दर आपको
पीलिया रोग व उसके कारण होने वाली शारीरिक सूजन से छुटकारा मिल जाएगा.
12.मधुमेह (डायबिटीज) – अगर आपको मधुमेह अर्थात
डायबिटीज का रोग अधिक मीठी चीजों का सेवन करने के कारण हो गया हैं तो इस रोग के
दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी आप बेल की पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस रोग
से निजात पाने के लिए बेल के 15 पत्तें लें और इसे 30 ग्राम पानी में मिलाकर पीस
लें. अब 3 या 4 कालीमिर्च के दानें लें और इन्हें भी बारीक़ पीस लें और बेल की
पत्तियों के पिसे हुए मिश्रण में मिला दें. अब इस मिश्रण को एक साफ कपडा लेकर छान
लें. फिर इस मिश्रण का सेवन करें. बेल की पत्तियों के मिश्रण का सेवन करने से कुछ
ही महीनों के अंदर आपको इस रोग से निजात मिल जाएगा.
1.इसके अलावा भी आप बेल का
अन्य तरीके से प्रयोग कर इस रोग से मुक्त हो सकते हैं. इस उपाय को अपनाने के लिए 6
या 7 बेल के पत्तें लें, 29 श्यामा तुलसी के पत्तें लें, 11 कालीमिर्च के दाने लें
तथा 9 नीम की पत्तियां लें. अब इन सभी को एक साथ मिलाकर खूब महीन पीस लें. पिसने
के बाद एक गिलास पानी लें और पिसे हुए मिश्रण के साथ इसे पी लें. रोजाना दिन में
एक बार ऐसा करने से शीघ्र ही आपको इस रोग से राहत मिल जाएगी. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT बेल का देशी घरेलू इलाज में प्रयोग ...
बेल का आयुर्वेदिक इस्तेमाल |
2.यदि मधुमेह रोग के कारण
आपके खून में शर्करा की मात्रा अधिक हो गई हैं तो शर्करा की मात्रा कम करने के लिए
भी आप बेल का तथा अन्य चीजों का प्रयोग कर सकते हैं. रक्त को साफ कराने के लिए तथा
शर्करा की मात्रा कम करने के लिए 9 बेल के पत्ते लें, 9 कालीमिर्च के दाने लें, 9
बादाम की भीगी हुई गिरी लें और 200 ग्राम पानी लें. अब इन सभी चीजों को एक साथ
मिलाकर रस तैयार कर लें और इसे दिन में दो बार पियें. 15 – 20 दिनों तक इस रस का
निरंतर प्रयोग करने से आपके खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाएगी तथा इसके साथ ही
आपका खून भी साफ हो जाएगा.
13. पेचिश – यदि कोई व्यक्ति पेचिश की बिमारी से अत्यधिक परेशान हो गया
हैं तो वह भी बेलगिरी का प्रयोग कर इस बिमारी से छुटकारा पा सकता हैं. इसके लिए 50
ग्राम बेलगिरी लें और धनिया की पत्ती लें. अब इन दोनों को के साथ पीस लें. अब
कच्चे चावल लें और इन्हें धोकर इस पानी को कपडे से छान लें और इसमें बेलगिर और
धनिया का रस मिला लें. रस को चावल के पानी में मिलाने के बाद इस पानी का सेवन
करें. इस पानी को पीने से आपको पेचिश के रोग के साथ – साथ गर्मी के कारण हो ने
वाले दस्त से भी छुटकारा मिल जाएगा.
14.पुराने सुजाक – बेल का फल पुराने सुजाक को ठीक करने के लिए भी
अत्यन्त उपयोगी होता हैं. इसके लिए इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को बेल के गूदे में
चीनी मिलाकर खाना चाहिए. आपको अवश्य ही इस रोग में आराम होगा.
15. शरीर की दुर्गन्ध – कांख की दुर्गन्ध की ही
भांति बेल शरीर की दुर्गन्ध को दूर करने के लिए भी लाभप्रद होता हैं. अगर
आपके शरीर से दुर्गन्ध आती हैं तो बेल के
नरम तथा ताजे पत्ते लेकर पीस लें. पिसने के बाद पत्तों के रस को स्नान करने से
पहले अपने शरीर पर लगा लें. रोजाना इस बेल की पत्तियों के रस को लगाकर स्नान करने
से व्यक्ति के शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जायेगी.
16.मसूड़े – अगर किसी व्यक्ति के मसूड़ों में से खून आता हैं या सुजन हो
गई हैं तो उसे कच्चे बेल के शरबत का सेवन दूध की
की समान मात्रा मिलाकर रोजाना दिन में दो बार करना चाहिए. ऐसा करने से आपके
मसूड़ों से खून आना बंद हो जाएगा तथा आपके मसूड़ों की सूजन खत्म हो जायेगी.
17. आमातिसार – आमातिसार के रोग को दूर करने के लिए भी बेल के गुदे का
इस्तेमाल इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कर सकता हैं. इस रोग से मुक्ति पाने के लिए बेल
का गूदा लें और उसे गर्म तवें पर सेंक लें. सेंकने के बाद बेल के गूदे में थोड़ी
चीनी मिलाकर इसका सेवन करें. रोजाना इस प्रकार बेल के गूदे का सेवन करने से आपको
जल्द ही आमातिसार के रोग से मुक्ति मिल जायेगी.
18. पित्तातिसार – पित्तातिसार की बिमारी में बेल का मुरब्बा खाना
बहुत ही फायदेमंद होता हैं. यदि रोजाना बेल के मुरब्बे का सेवन दिन में दो बार
करें. तो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को इस बिमारी से अवश्य ही छुटकारा मिल जाएगा.
19. कर्ण रोग – यदि किसी व्यक्ति को कान से सम्बन्धित कोई रोग हो गया हो.
जैसे कान से पित्त बहना, कान में दर्द या कम सुनाई देना आदि. तो वह व्यक्ति
बेलगिरी के साथ कुछ अन्य चीजों का प्रयोग करके इन रोगों से मुक्ति पा सकता हैं.
कान से सम्बन्धित रोगों को दूर करने के लिए 200 ग्राम बेलगिरी लें, 500 मि.ली
सरसों का तेल लें, पानी लें तथा थोडा सा बकरी का दूध लें. अब कच्चे बेल के गूदे को
बकरी के दूध में पीस लें. इके बाद एक कलईदार कढाई लें और उसमें इन सभी चीजों को
मिलाकर कुछ देर तक धीमी आँच पर पका लें. पकाने के बाद इस मिश्रण को छान लें और
इसकी दो – दो बूंद अपने दोनों कानों में डालकर कान में रुई लगा लें. रोजाना सोते
हुए कान में इस मिश्रण को डालने से कान से सम्बंधित सभी रोगों से निजात मिल जाता
हैं.
बेल का
आयुर्वेदिक इस्तेमाल अन्य
बिमारियों में कैसे करें. इस बारे में जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
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Aayurvedic Uses of Bel |
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Napusankta Pradar Rog Piliya Pechish Dast Rakt ki Kami Mein Prayog, बेल .
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