आयुर्वेद के नजरिये से बेल (FromThe Perspective of Aayurveda Beal)
आयुर्वेद की दृष्टिकोण से बेल के पेड़ का फल, फूल, पत्ते, पेड़ की छाल, जड़, बीज
आदी विभिन्न गुणों से युक्त हैं. औषधि बनाने के लिए बेल का कच्चा, पका फल, पत्ते,
फूल जड़ ,छाल आदि सभी भागों का प्रयोग किया जाता हैं. चुर्ण बनाने के लिए बेल के
अंदर का गूदा बहुत ही उपयोगी होता हैं. मधुमेह (डायबिटीज) के रोग से मुक्ति पाने
के लिए इसकी पत्तियां बहुत ही लाभदायक होती हैं. अन्य फलों की तुलना में बेल का
पका हुआ फल अधिक फायदेमंद नहीं होता. लेकिन इसके विपरीत बेल का कच्चा फल अधिक
गुणकारी होता हैं.
कच्चे बेल के फायदे (Benefits of Raw Beal)
कच्चे फल का सेवन करने से पेट की कब्ज खत्म हो जाती हैं. बेल का कच्चा फल मलरोधक, कषाय, पित्तजनक होता हैं. यह स्वाद में कडवा होता हैं. इसे खाने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती हैं. कच्चा बेल काफी हल्का तथा पाचक होता हैं. कच्च्चे बेल का सेवन करने से शरीर के बल में वृद्धि होती हैं. यह मल बाँधने वाला होता हैं. लेकिन यह पाचक भी होता हैं. इसे खाने से मनुष्य के पाचन तंत्र में स्थित आँतों की पाचन शक्ति बढ जाती हैं. कच्चा फल हैजा, वातरोग तथा ज्वर जैसे रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं. इसका इस्तेमाल अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे गंभीर रोगों से मुक्त होने के लिए भी किया जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT बेल एक उपयोगी फल ...
Bel Ek Mahatvapurn Aayurvedic Fal |
पके बेल के फायदे (Benefits of Vine Beal)
कच्चे बेल के विपरीत पका हुआ बेल मधुर, सुगन्धित, भारी, विदाही, दुर्जर,
दोषकारी, अनुलोमकारी, दुर्गंध युक्त होता हैं. तथा इसे खाने से शरीर में अधोवायु
की भी उत्पत्ति होती हैं. पका हुआ बेल खाना हृदय के लिए लाभकारी होता हैं. यह
मधुमेह तथा सांस से सम्बन्धित रोगों को भी नष्ट कर देता हैं. पके हुए बेल के फल के
अंदर का गूदा मृदु विचेरक होता हैं. बेल के पत्तों का प्रयोग करने से वात, शोथ,
ज्वर, ग्राही तथा शूल आदि रोग नष्ट हो जाते हैं. बेल के पेड़ की जड भी बहुत ही
फायदेमंद होती हैं. यह वातानाड़ी संसथान के लिए, शामक तथा मधुर होती हैं. इसका प्रयोग करने से वात भी
नष्ट हो जाता हैं.
बेल का शर्बत (Bel Juice)
बेल का शर्बत विभिन्न रोगों को नष्ट करने के लिए बेहद उपयोगी तथा लाभदायक होता
हैं. इसे बनाना बहुत ही सरल होता हैं. बेल के शरबत को बनाने के लिए 500 ग्राम पके
हुए बेल का गूदा लें और इसे 2 लीटर पानी में मिलाकर पका लें. बेल के गूदे को तब तक
पकाएं जब तक की बर्तन में पानी आधा न रह जाएँ. बेल के गूदे को पकाने के बाद इसे
उतार लें और इसमें 2 किलो चीनी डालकर अच्छी तरह से मिला लें. अब इसे थोडा ठंडा
करके छान लें और रोजाना एक कप पानी में 2 चम्मच बेल का शर्बत मिलाकर पियें. बेल के
शर्बत का रोजाना प्रयोग करने से प्रवाहिका, राक्तातिसार, खुनी बवासीर, रक्तप्रदर,
श्वेतप्रदर आदि गंभीर रोग नष्ट हो जाते हैं. बेल का शर्बत पीने से हृदय रोग भी ठीक
हो जाते हैं तथा इसका सेवन करने से हृदय को बल मिलता हैं और अवसाद नष्ट हो जाता
हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT बेल के औषधीय प्रयोग ...
बेल एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक फल |
बेल में विद्यमान पौषक तत्व (Nutrient Present in Bel)
बेल खनिज तत्वों से तथा विटामिनों से भरपूर फल हैं. और बेल के फल में विभिन्न तत्वों की भी मात्रा पाई जाती हैं. पके हुए बेल के गूदे में 55 प्रतिशत केरोटिन की मात्रा उपलब्ध होती हैं, 0.13 प्रतिशत थायमिन की मात्रा होती हैं, 0.03 प्रतिशत रिवोफ्लोविन तत्व की मात्रा पाई जाती हैं. इसमें 1.1 निमासिन विद्यमान होता हैं. बेल के गूदे में विटामिन “सी” की 8 प्रतिशत मात्रा भी उपलब्ध होती हैं. बेल में द्रव्य के रूप में भी कुछ तत्व स्थित होते हैं. इसमें म्युसिलेस, पैक्टिन, शर्करा, टेनिन, उड़नशील तेल, निर्यास, भस्म तथा मर्मोलोसिन नामक द्रव्य तत्व पाये जाते हैं. बेल के पके हुए फल के बीजों में वसा भी पाई जाती हैं.
बेल का सेवन कभी भी ज्यादा मात्रा में नही करना चाहिए. क्योंकि इसका अधिक सेवन
करना सेहत के लिए हानिकारक होता हैं.
बेल एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक फल तथा बेल के औषधीय प्रयोग के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे कमेंट कर के जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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