मुग़ल शहंशाह ने प्रेमिका के पति को मार, किया निकाह (Mughal Emperor Killed Her Husband And Then Did Nikaah
With Her)
इतिहास में जब भी मुग़ल बादशाहों का नाम लिया जाता है, मुग़ल बादशाह अकबर का नाम
अपने आप जेहन में आ जाता है. अकबर का पूरा नाम जलाल-उद-दीन-मुहम्मद अकबर था. उनकी
बेग़म का नाम जोधा बायी था जिन्हें कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. चूँकि जोधा
एक हिन्दू राजपुताना थी, एक मुसलमान के साथ शादी करना उनके लिए ख़तरनाक साबित हो
सकता था पर फिर भी उन्होंने इस शहंशाह से शादी की. अकबर की संतानों में से एक थे
उनके बेटे सलीम. जिस प्रकार जलाल के नाम के साथ अकबर बाद में जोड़ दिया गया था, ठीक
उसी प्रकार सलीम को भी शहंशाह जहाँगीर के नाम से जाना जाता है. जहाँगीर मुग़ल
साम्राज्य के चौथे शहंशाह थे और इन्होने तकरीबन बीस साल राज किया था. CLICK HERE TO KNOW यमराज ने बताये मृत्यु के राज ...
Mugal Shahnshaah Jahangir Ka Prem Nikaah |
शहंशाह जहाँगीर का गद्दी पर आना (Emperor Jahangir Came on Throne) :
मुग़लों की परंपरा में कम उम्र में गद्दी पर बैठने
वाले को “वालिहाद” कहा जाता है और चूँकि सलीम भी अकबर के बाद काफी कम उम्र में ही
गद्दी पर बैठ चुके थे, ये खिताब उन्हें दे दिया गया था.
सलीम छोटी सी उम्र में ही शराब व कनीजों का शौक पाल चुके थे व उनका ध्यान अब महल
के कामकाजों से ज्यादा कनीजों व शराब के प्यालों में ज्यादा रहने लगा था. CLICK HERE TO KNOW शनिदेव जी की स्त्री रूप धारण कथा ...
मुग़ल शहंशाह जहाँगीर का प्रेम निकाह |
सलीम की ज़िन्दगी में नूरजहाँ का आना (Arrival of Nurjahan in Salim’s Life) :
इन दिनों सलीम की नजर एक पारसी स्त्री पर पड़ी जिसे
हासिल करने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे. अब तक नशे की लत शहंशाह पर हावी हो
चुकी थी और कुछ लोग तो ये तक कहते हैं कि ताकत व रुतबे के जोर ने शहंशाह को इस हद
तक तानाशाह बना दिया था कि उन्होंने उस पारसी स्त्री को पाने के लिए उसके पति तक
को मरवा दिया था.
उन दिनों शहंशाह की बेग़में ओहधा पाने के लिए मरने-मिटने को तैयार रहती थी और
शहंशाह के हरम में इस बेग़म को सबसे बड़ा ओहदा प्राप्त था. शहंशाह ने इस स्त्री को
नूरजहाँ का नाम दिया.
Love Marriage of Mugal Emperor Jahangir |
शहंशाह की ये बेग़म राजनैतिक पैंतरों में दिन पे दिन काफी कुशल होती गई और उसने हरम
में अपनी ही तरह का एक क़ानून बना दिया था. हरम एक ऐसी जगह थी जहाँ बस स्त्रियाँ आ
सकती थी. नूरजहाँ ने अपना ओहदा बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश की और कुछ लोग तो
ये भी कहते हैं कि इसके लिए नूरजहाँ ने अपने पारिवारिक रिश्तों का सहारा तक लिया
था.
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Salim or Nurjahan ka Ishaq |
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