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Vilakshan Evam Gunkari Aushdhi Indrayan | विलक्षण एवं गुणकारी औषधि इन्द्रायण

इन्द्रायण के आयुर्वेदिक प्रयोग (Aayurvedic Uses Of Indrayan)
इन्द्रायण एक प्रकार की औषधि हैं. जो लता के रूप में सम्पूर्ण भारत के बलुई क्षेत्रों में पाई जाती हैं. इन क्षेत्रों में इन्द्रायण खेतों की भूमि में उगाई जाती हैं. पूरे भारत में इन्द्रायण के तीन प्रकार पायें जाते हैं.

1.पहली छोटी इन्द्रायण कहलाती हैं.

2.दूसरी को बड़ी इन्द्रायण कहा जाता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT औषधीय गुणों से भरपूर बादाम ...
Vilakshan Evam Gunkari Aushdhi Indrayan
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3.तीसरी और अंतिम इन्दारायण को लाल इन्द्रायण के नाम से जाना जाना जाता हैं.

इन तीनों प्रकार की इन्द्रायण की लताओं में कम से कम 50 से 100 की संख्या में फल लगते हैं. इन्द्रायण का प्रयोग औषधि के रूप में किया जा सकता हैं. क्योंकि यह बहुत ही गुणी होती हैं. इसमें कफ, पीत, पीलिया, पेट के रोग, श्वास रोग तथा खांसी आदि रोगों से लड़ने की तथा उन्हें जड़ से ख़त्म करने की क्षमता निहित होती हैं. इसका प्रयोग करने से गैस, गांठ, घाव, प्रमेह, कंठमाला आदि रोग भी ख़त्म हो जाते हैं. यह विष के प्रभाव को भी नष्ट करने वाली एक बेहद ही उपयोगी और फायदेमंद औषधि हैं. 
  
विभिन्न रोगों में इन्द्रायण का औषधि के रूप में इस्तेमाल (Medicine Uses of Indrayan In Various Disease)
1.   काले बाल (Black Hair) इन्द्रायण की लता की ही भांति इस पर लगने वाले फलों के बीज का तेल भी बहुत ही प्रभावशाली और लाभकारी होता हैं. यदि इसके फल के बीजों के तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाकर बालों की मालिश की जाएँ तो व्यक्ति के सफेद बाल गायब हो जाते हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT युवाओं के लिए गुणकारी औषधि गोखरू ...
विलक्षण एवं गुणकारी औषधि इन्द्रायण
विलक्षण एवं गुणकारी औषधि इन्द्रायण
2.बहरापन (Deafness) – यदि किसी व्यक्ति को कान से कम सुनाई देता हैं तो वह व्यक्ति भी इन्द्रायण का इस्तेमाल कर सकता हैं. बहरेपन की परेशानी से निजात पाने के लिए इन्द्रायण के कुछ पके हुए फल लें या पके हुए फल के छिलके लें. अब इन दोनों में किसी भी एक को तेल में उबाल लें और अच्छी तरह से उबालने के बाद इस तेल को छान कर पी जाएँ. बहरापन जल्द ही खत्म हो जाएगा.

3.दांत के कीड़े (Tooth Worms) – दांत के कीड़ों को नष्ट करने के लिए आप इन्द्रायण के पके हुए फल का इस्तेमाल कर सकते हैं. दांत के कीड़ों को नष्ट करने के लिए रोजाना इन्द्रायण के पके हुए फल की दांतों में धुनी दें. इससे जल्द ही दांत से सम्बंधित सभी परेशानियाँ ख़त्म हो जाएगी.

4.मिर्गी (Epilepsy) यदि किसी व्यक्ति को मिर्गी की बीमारी हो तो इससे राहत पाने के लिए इन्द्रायण की जड़ लें और उसे सुखाकर  पीस लें. इसके बाद इस चुर्ण को पीड़ित व्यक्ति की नासिका में डालें. उसे इस रोग में काफी लाभ होगा.

5.खांसी (Cough) यदि आपको पुरानी खांसी हैं तो इस समस्या के निदान हेतु एक इन्द्रायण का फल लें और उसके बीच में एक छेद कर लें. इसके बाद इस छेद में कालीमिर्च भर दें और इस छेद को दुबारा बंद कर दें. अब इस फल को कुछ समय तक गर्म राख में रख दें. अब इस फल में से कालीमिर्च के दानों को निकाल लें और इनका सेवन रोजाना सुबह उठने के बाद शहद के साथ करें. पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जायेगी.

6.हैजा (Cholera) – हैजा के रोग से पीड़ित होने पर इन्द्रायण के फल लें उर उनके अंदर का गूदा निकाल दें. अब थोड़ी सी अजवायन लें और उसके साथ इसे खा लें. हैजा के रोग से जल्द ही मुक्ति मिल जायेगी.
Indrayan ka Vibhinn Rogon mein Istemal
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7.   पेशाब में जलन (Urine Irritation) पेशाब में जलन होने की बीमारी से राहत पाने के लिए इन्द्रायण की जड़ लें और उसे सुखाकर पानी के साथ पीस लें. इसके बाद इस पानी को छान लें और इसका सेवन करें.

8.मासिक धर्म (Periods) यदि किसी महिला को मासिक धर्म न हो तो 3 ग्राम इन्द्रायण के बीज, 7 दाने कालीमिर्च लें. अब इन दोनों को एक साथ पीस लें. पिसने के बाद एक बर्तन में 200 – 250 मि ली. पानी लें और इसमें इस चुर्ण को डाल दें. अब इस पानी को कुछ समय तक अच्छी तरह से उबालकर काढा बना लें. काढा जब पूरी तरह से पककर तैयार हो जाए तो इसे उतार कर छान लें और इसका सेवन करें. मासिक धर्म होना दुबारा शुरू हो जायेंगे.
Indrayan ki Jad se Payen Gambhir Bimariyon se Mukti
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9.आंत के कीड़े (Intestine Worms) आंत के कीड़ों को मारने के लिए भी इन्द्रायण काफी लाभकारी होता हैं. आंत के कीड़ों को नष्ट करने के लिए इन्द्रायण के फल लें और उसके अंदर का गूदा निकाल लें. इसके बाद इस गुदे को गर्म करने के बाद एक कपडे में लपेट लें और इसे अपने पेट पर बांध लें. कुछ ही दिनों में पेट के सभी कीड़े समाप्त हो जायेंगे.  
      
10.                   दस्त (Diarrhea) अगर किसी व्यक्ति को दस्त की समस्या हैं तो वह इससे छुटकारा पाने के लिए भी इन्द्रायण के फल का उपयोग कर सकता हैं. दस्त की परेशानी को दूर करने के लिए इन्द्रायण के फल की मज्जा लें और उसे पानी में डालकर कुछ देर उबाल लें. इन्द्रायण के फल के मज्जा को तब तक उबालें जब तक कि यह पूरी तरह से पककर गाढा न हो जाएँ. गाढा हो जान पर इसे उतार लें और इस मिश्रण की छोटी – छोटी गोलियां बना लें. अब इन गोलियों में से 2 गोलियों का सेवन रात को सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ करें. इस उपाय को करने से अगले दिन आपको दस्त की समस्या से बिल्कुल राहत मिल जायेगी.
Indrayan Ek Aayurvedic Aushdhi
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11.    पेट का बढना (Fat) यदि किसी व्यक्ति के पेट उसके शरीर में स्थित यकृत के आकार के बढ़ने की वजह से बढ़ रहा हैं तो इस बीमारी से शीघ्र मुक्त होने के लिए उसे इन्द्रायण का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. यह उसके लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा.

12.   जलोदर (Ascites) जलोदर की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए इन्द्रायण की जड की छाल लें और उसमें सांभर नमक मिलकर खाएं. जलोदर का रोग जल्द ही ठीक हो जाएगा.

13.     उपदंश (Syphilis) उपदंश से पीड़ित होने पर 200 ग्राम इन्द्रायण की जड लें और 700 मि. ली अरंड का तेल लें. अब इस तेल में इन्द्रायण की जड़ को डालकर उबलने के लिए रख दें. अच्छी तरह से उबालने के बाद जब बर्तन में थोडा सा तेल बच जाएँ तो इसे उतार लें और इस तेल में से लगभग 20 मि. ली तेल लें और इसका सेवन गाय के दूध के साथ दिन में दो बार करें. उपदंश की समस्या जल्द ही ख़त्म हो जायेगी.

14.  वात (Vat) अगर वात का रोग हो जाए तो इसे बचने के लिए भी इद्रायण की जड़ का इस्तेमाल आप कर सकते हैं. इसके लिए 110 ग्राम इन्द्रायण की जड़ लें और 600 मि.ली पानी लें. अब पानी को उबलने के लिए रख दें और उसमें इन्द्रायण की जड़ को डाल दें. अब इस पानी को तब तक उबालें जब तक की इसमें एक तिहाई हिस्सा पानी का न बच जाएँ. इसके बाद पानी को उतार लें और उसमें बूरा मिला लें. अब आप इस पानी का सेवन कर सकते हैं. इस पानी का सेवन करने के बाद आपको वात के साथ – साथ उपदंश की समस्या से भी निजात मिल जायेगी.
Indrayan ke Gharelu Upay Aapki Sehat Bnayen
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15.   सूजन (Swelling) अगर मनुष्य के शरीर के किसी भी स्थान पर सूजन आ गई हैं तो इस सूजन को दूर करने के लिए भी वह इन्द्रायण की जड़ का इस्तेमाल कर सकता हैं. सूजन को दूर करने के लिए इन्द्रायण की जड़ लें और उसे सिरके में मिलाकर पीस लें. इसके बाद इस लेप को सूजन वाले स्थान पर लगा लें. सूजन कुछ ही समय में ठीक हो जाएगी.

16. बिच्छु का जहर (Scorpion Poison) यदि किसी व्यक्ति को बिच्छु ने काट लिया हैं. तो इसके जहरीले विष से बचने के लिए इन्द्रायण के फल का लगभग 6 से 8 ग्राम गूदा खायें. उस पर जहर का प्रभाव बिल्कुल नहीं होगा. 

17.  सांप का जहर (Snake Poison) सांप के काटने पर भी आप इन्द्रायण की जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए इन्द्रायण की जड़ का चुर्ण लें और एक पान का पत्ता लें. अब इस चुर्ण को पान के पत्ते पर रख लें. इसके बाद पान के पत्ते का सेवन करें. सांप के जहर के प्रभाव से व्यक्ति बच जायेगा.

18.   डिब्बा रोग, पसली चलना (Dabba Rog) – बच्चों को यदि डिब्बा रोग हो जाए तो इस रोग से जल्द बच्चे को मुक्ति दिलाने के लिए इन्द्रायण की जड़ का चुर्ण लें और थोडा सा सेंधा नमक लें.  अब इन दोनों को मिलाकर बच्चे को एक गिलास गर्म पानी के साथ दें. इससे बच्चे को जल्द ही इस रोग से छुटकारा मिल जाएगा.
Indrayan ke Gharelu Upay
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19.     कान का घाव (Ear Wound) ये कान में फोड़ा या फुंसी हो जाए. तो इसके लिए भी इन्द्रायण का फल बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता हैं. फोड़े और फुंसी को ठीक करने के लिए इन्द्रायण का फल लें और नारियल का तेल लें. इसके बाद नारियल के तेल में इन्द्रायण के फल को गरम कर लें और इस मिश्रण को कान के अंदर लगायें. फोड़ा फुंसी जल्द ही ठीक हो जायेगी और यदि कान में पीड़ा हैं तो वह भी ख़त्म हो जायेगी.

20.  सिर दर्द (Headache) सिर दर्द होना एक आम बीमारी हैं जो किसी भी व्यक्ति को सकती हैं. यदि आपके सिर में अधिकतर समय दर्द रहता हैं तो इस दर्द से निजात पाने के लिए इन्द्रायण की जड़ या फल के रस को तिल के तेल में मिलाकर गर्म कर लें और इस तेल से सिर की मालिश करें. सिर दर्द तुरंत ही गायब हो जाएगा.
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21.    दर्द (Pain) आधासीसी, कान का दर्द या पुराना जुखाम होने पर इन्द्रायण के फल के रस को या जड़ की छाल के चुर्ण को काढ़े के तेल में डालकर पका लें. इसके बाद इस तेल को छान लें और इसका प्रयोग करें. इस तेल का इस्तेमाल करने से आपको इन सभी रोगों से एक साथ छुटकारा मिल जाएगा. 
  
इन्द्रायण का अन्य रोगों में किस प्रकार इस्तेमाल आप कर सकते हैं इस बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हैं. 

इन्द्रायण
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2 comments:

  1. इन्द्रायण का आचार कैसे बनता है

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  2. लाल इन्द्रायण का स्वाद कैसा होता है ?

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