दुर्वा
या दूब घास का महत्व ( The Importance of Lawn Grass )
दुर्वा
घास के सन्दर्भ में एक कहानी बहुत प्रचलित है कि समुंद्र मंथन के वक़्त जब
अमृत कलश निकला था तो उसमें से अमृत की कुछ बूंदें छलककर
नीचे पृथ्वी पर दुर्वा घास के ऊपर गिर गयी थी, तभी से दुर्वा घास अमर हो गयी
थी. इसका प्रमाण आप इस बात से ही लगा सकते हो कि आप दुर्वा घास को जड़ समेत जमीन से
निकाल लो और 12 सालों तक उसे ऐसे ही रहने दो. जब आप 12 साल बाद उस घास को दोबारा
जमीन में बोना चाहोगे तो वो दोबारा उगना आरम्भ हो जायेगी. है ना चमत्कार, इस तरह सिर्फ यही वनस्पति पुनर्जीवित हो सकती है, इसके
अलावा कोई और वनस्पति ऐसी नहीं है. CLICK HERE TO KNOW सहजन के स्वास्थ्य लाभ ...
Doob Ghaas Bhi Rakhte Aapko Swast |
दुर्वा
घास का आध्यात्मिक महत्व ( Spiritual Importance of
Lawn Grass ) :
§ गणेश नारायण पूजन में दुर्वा
घास ( Lawn Grass in Ganesha and Naranayan Prayer ) : प्राचीन काल से ही हर
अनुष्ठान में दुर्वा घास की अहम भूमिका होती है, इस घास से बने छल्ले होमा की
रस्म से पहले पहनाएं जाते है. गणेश व नारायण मंदिरों में तो इस घास को एक भेंट के
रूप में प्रयोग किया जाता है. इसको इतना पवित्र माना जाता है कि इसे हर पूजा हवन
और विशेष कार्य में शामिल किया जाता है. आपने देखा होगा कि पूजा में उपस्थित सभी
लोगों पर गंगाजल के छींटे भी इसी घास का प्रयोग करते हुए डाले जाते है. गणेश जी का
पूजन दुर्वा घास के बिना अधूरा माना जाता है. यही है श्रद्धा और विश्वास जो दुर्वा
घास को आध्यात्मिक महत्व दिलाता है.
§ कृष्ण पूजा में दुर्वा घास ( Lawn Grass in Krishna
Prayer) : एक अन्य कथा के अनुसार भगवान
श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि जब कोई व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भक्ति भाव से
एक दुर्वा की पत्ती, एक फल, एक फूल और पानी के साथ मेरी पूजा अर्चना
करेगा और मुझे याद करें मैं भी उसे पुरे मन से स्वीकार अवश्य करूँगा. यही है
दुर्वा घास की खासियत और इसीलिए इसका स्वास्थ्य और आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण
स्थान है. CLICK HERE TO KNOW छिलकों से मिलते है कमाल के फायदे ...
दूब घास भी रखें आपको स्वस्थ |
अगर
ध्यान से देखा जाएँ तो इस घास को एक स्थान से उखाड़ना और दुसरे स्थान पर लगाना, फिर वहाँ से
उखाड़ना और नये स्थान पर लगाना हमें पतन और नवीनीकरण, पुनर्जन्म,
उत्थान और अंकुरण का एक सन्देश देता है. ये शक्ति का एक प्रतिक
स्वरूप भी मानी जाती है. दिखने में तो ये घास की ही तरह होती है किन्तु इसका रंग
सामान्य घास से कहीं अधिक गहरा होता है. साथ ही ये घास पुरे साल उगाई जा सकती है
और ये पुरे साल हरी भी रहती है.
स्वास्थ्य
में दूर्वा घास ( Lawn Grass to Be Healthy ) :
जहाँ
ये घास आध्यात्म में स्थान रखती है वहीँ इसका एक दुसरा पहलु ये भी है कि ये घास
आयुर्वेदिक गुणों की खान है और इसमें फाइबर, पोटैशियम, प्रोटीन, कैल्शियम और फ़ास्फ़रोस जैसे अनेक खनिज तत्व
आये जाते है जो रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते है. इसीलिए ये स्वास्थ्य के
क्षेत्र में भी अतुलनीय योगदान दे पाती है. तो अब जानते है कि ये किन किन रोगों के
उपचार में सहायक होती है.
Lawn Grass also Keeps you Healthy |
· मधुमेह ( Diabetes ) : आधुनिक समय में लगभग हर
तीसरा व्यक्ति मधुमेह या रक्त शुगर की समस्या से जूझ रहा है और लाख कोशिशों के बाद
भी उसका शुगर नियंत्रित नहीं होता. शोध के अनुसार पता चला है कि इसमें ग्लासेमिक
के तत्व भी है. ये एक ऐसा तत्व है जो इसको शुगर और ग्लूकोस के स्तर को कम करने की
शक्ति प्रदान करता है.
· प्रतिरोधक क्षमता ( Improve Immune System ) : इसके अलावा इसमें एंटीवायरल
और एंटीमाइक्रोबायल तत्व भी पाए जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है
और इम्यून सिस्टम को उन्नत बनाते है. इस तरह कोई भी बिमारी शरीर में प्रवेश नहीं
कर पाती और इसको इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति हमेशा रोगमुक्त रहता है.
· अल्सर से बचाए ( Cures Ulcer ) : अलसर को रोकने का सबसे अच्छा
साधन फ्लेवनाइड को माना जाता है और आपको बता दें कि दुर्वा घास में फ्लेवनाइड की
मात्रा काफी अधिक होती है या यूँ कहें कि ये फ्लेवनाइड का प्रधान स्त्रोत है. इस
तत्व के होने की वजह से जातक को सर्दी खांसी और मलगम जैसी समस्या से भी मुक्ति
मिलती है.
दूर्वा घास भी है स्वास्थ्य का खजाना |
· मुंह दांतों को रखें स्वस्थ
( Keeps Mouth and Teeth Healthy ) : मसूड़ों से खून आना, उनका सुजना,
मुंह से दुर्गन्ध, दांतों में दर्द इत्यादि
सभी मुंह की समस्यों से निजात दिलाने में ये पुर्णतः सक्षम है. इसके अलावा इसमें
एंटीफ्लैमटेरी तत्व भी पाए जाते है जो सुजन और जलन को कम करने में मदद करते है. ये
एक एंटीसेप्टिक की तरह भी कार्य करती है और किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचाती है.
· कुष्ट रोग ( Leprosy ) : अगर इसका प्रयोग हल्दी में
मिलाकर किया जाएँ और उस लेप को शरीर पर लगाया जाएँ तो सभी तरह के चर्म रोग और
कुष्ट रोगों से छुटकारा मिलता है. ये दाद खाज खुजली को दूर करने में भी सहायक होता
है.
· रक्त शुद्धि ( Purify Blood ) : रक्त शुद्धि बहुत आवश्यक है
अन्यथा शरीर में अनेक तरह के रोग उत्पन्न हो जाते है. दूर्वा घास ना सिर्फ रक्त की
क्षारीयता को बनायें रखता है बल्कि हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाकर रक्त को लाल भी
रखता है. महिलायें जिन्हें माहवारी के दौरान रक्त निकलता है उन्हें उस समय इस घास
का प्रयोग जरुर करना चाहियें. इससे उनके शरीर में रक्त की कमी नहीं होती है और वे
खुद को स्वस्थ महसूस करती है. ये कोलेस्ट्रोल को कम करके ह्रदय के स्वास्थ्य को भी
बनाएं रखती है.
Dub Ghas ki Katha Khasiyat |
· बवासीर ( Hemorrhoids ) : आज के समय में महिलाओं में सफ़ेदयोनीस्त्राव की समस्या आम हो चुकी है.
दुर्वा घास उन्हें इस समस्या में आराम दिलाने में सक्षम है इसके लिए उन्हें दही के
साथ दुर्वा की घास का सेवन करना होगा. इसके अलावा इसमें प्रोलेक्टिन हार्मोन को
बेहतर करने की क्षमता भी है और ये महिलाओं के काम उत्तेजना वाले हार्मोन को भी
संतुलित रखता है. इसलिए वे महिलायें जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराती है उनके लिए
भी ये उत्तम रहती है.
· पेट विकार ( Stomach Disorder ) : जीवनशैली के बदलने की वजह से
हमारा खान पान और हमारा स्वास्थ्य बहुत बदल चुका है, जिसके कारण पाचन तंत्र सही तरह से कार्य नही
कर पाता और पेट संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते है. किन्तु ये घास पेट संबंधी हर रोग
को दूर करती है और हाजमें को बढ़ाती है. ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर
निकालकर शरीर को रोग मुक्त रखती है.
· ऊर्जा प्रदान करें ( Gives Energy ) : क्योकि ये पौषक तत्वों की
खान है इसलिए इसका सेवन शरीर में ऊर्जा का संचार करती है, ये अनिद्रा,
थकान जैसे रोगों से निजात दिलाता है और मानसिक और शारीरिक रूप से
स्वस्थ रखने में मदद करता है.
दुर्वा
घास के ऐसे ही अन्य स्वास्थ्यवर्धक लाभदायक प्रयोगों और उपायों के बारे में अधिक
जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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- धन प्राप्ति में बाधक है मकड़ी के जाले
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