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भूत प्रेत और जिन्न के आमिल दादा गुरु – Bhoot pret or Jinn ke Amil Dada Guru

 

Bhoot pret or Jinn ke Amil Dada Guru
Bhoot pret or Jinn ke Amil Dada Guru

ये बात लगभग सन 1938 की है. गुरु देव के दादा गुरु गांव के उत्तर में गाँव से दूर अपने गुरु के सानिध्य में रहते थे और शाबर मन्त्र साधना करते थे. ये वो स्थान था जहां स्वयं गुरु गोरखनाथ जी ने धूना चेताया था और आज तक उसकी सेवा और चेतनता सीध है. और गाँव के ही दक्षिण भाग में गाँव से बहार एक तालाब था, जहां ग्राम निवासी हमेशा अपने पशुओं को पानी पिलाने और घुमाने ले जाया करते थे.

शाबर मन्त्र सिद्धि Shabar Mantra Siddhi  – दादा गुरु ने एक नहीं कई शाबर मन्त्र सिद्ध किये थे और साथ ही साथ कई तरह की अलौकिक सिद्धियाँ भी हासिल की थी मतलब, जिन्न प्रेत वेताल और भूत Jinn, Bhoot, Pret, Betal  हमेशा उनके सेवा के लिए तत्पर रहते थे लेकिन वो कभी उनसे कोई भी सेवा लेते नहीं थे. दादा गुरु खुद सेवा नहीं लेते थे लेकिन जरूरत मंद के लिए जरूर उनकी मद्दद लेते थे और इसीलिए उनकी इन पर पकड़ और शक्ति बढती जाती थी.

मरीद जिन्न Mrid Jinn - तालाब और जाल का पेड़ एक साथ थे और वहां एक मरीद जिन्न था, मरीद एक किस्म है जिन्नों की. इस किस्म के जिन्न ज्यादातर शरीफ जिन्न होते है लेकिन इनकी शक्ति असीमित होती है. इनको मंत्रो से बंधना संभव नहीं हो पता आसान से. ये एक बार बिगड़ जाए मतलब नाराज हो जाए तो उजाड़ कर रख देते है सब कुछ फिर किसी बाबा की भी नहीं चलती इनके सामने चाहे वो कितना ही बड़ा तांत्रिक हो और ये हमने बहुत देखा है की किस तरह जिन्नों ने उठा उठा कर पटका है तांत्रिको को लेकिन यहाँ एक सच्चे गुरु भक्त शाबर मंत्रो के सिद्द तपश्वी से इसका सामना होने वाला था.

गाँव में तांत्रिक का आगमन Ganv mein Tantrik ka Agman उसी समय एक कपाली तांत्रिक गाँव में आया और उसी जाल के पेड़ के निचे उसने अपना डेरा लगा लिया. अपनी जो साधना वो करता था की और दो चार दिन ठीक से रहा, लेकिन शक्ति छुप नहीं सकती और उसको भनक लग गयी की एक शक्ति शाली जिन्न भी इसी जाल पर रहता है, उसने तंत्र के रास्ते यानी तामस तरीके से उस जिन्न को काबू करने के लिए अनुष्ठान कर दिया. उसने भगवान् शिव सहिंता के कठोर मंत्रो का उच्चारण किया और जिन्न तुरंत हाजिर हो गया. 

भूत प्रेत और जिन्न के आमिल दादा गुरु
भूत प्रेत और जिन्न के आमिल दादा गुरु

 

जिन्न बोला Jinn Bola – मुझे इस तरह जबरदस्ती यहाँ क्यों बुलाया है?

तांत्रिक Tantrik – तुझे मुझे 3 वचन देने होंगे नहीं तो मैं ऐसे ही अनुष्ठान चालू रखूँगा.

जिन्न Jinn – मैं तुम्हारी मनसा समझ चूका हूँ लेकिन मैं कोई वचन नहीं देने वाला.

तांत्रिक Tantrik – तो ठीक है अब दिखता हूँ मैं तुझे अपनी ताकत.

जिन्न लुप्त तो हो गया लेकिन तांत्रिक की तंत्र शक्ति ने उसको दुःख देना शरू कर दिया था, लेकिन जिन्न ने युक्ति लगाकर उसका अनुष्ठान भंग कर दिया, जैसे ही तांत्रिक का अनुष्ठान टूटा तुरंत ही जिन्न ने दादागिरी शरू, उसने तांत्रिक को पटक पटक बूरा हाल कर दिया.

मरीद जिन्न का आतंक Marid Jinn ka atank – अब जिन्न शांत नहीं था वो तंग हो चूका था और अपनी इस कडवाहट में वो लोगो को परेशान करने लगा. लोगो का बहुत नुक्सान करने लगा. इतना बूरा हाल हुआ की लोगो का तालाब पर जाना बिलकूल ही छुट गया और इससे लोग बहुत परेशान हो गए और तब वो दादा गुरु के गुरु जी नाथ जी के पास धूने पर पहुचे.

नाथ जी पहले से सब जानते थे बस कन्फर्म करके तुरंत दादा गुरु को आदेश दिया की जाओ अब तालाब के पास उस जाल के पेड़ के निचे धूना लगाने का समय आ गया है.

तालाब पर धूना – दादा गुरु ने गुरु जी को आदेश किया और चिमटा उठाकर सीधे जाल पेड़ के निचे पहुचकर धूना सुलगा दिया. जिन्न महाराज पहली रात ही धमक पड़े दादा गुरु जी के सामने. और बोला

जिन्न Jinn – तुम यहाँ क्यों आये हो, अभी निकलो नहीं तो सब जानते है उस तांत्रिक का मैंने क्या हाल किया था , उससे भी भयानक हाल तेरा करूँगा.

दादा गुरु – अच्छा, काल भी साधू संतो से इज्जत से बात करता है और तू मुझे धमकी दे रहा है, चल दिखा ले जितना दम है तेरे अन्दर, धूना तो लग चूका है यहाँ अब इंच भर भी सरका के तो दिखा. अब तुझे ये गांव ही नहीं ये पूरा गोहांड ही तुझे छोड़ना पड़ेगा. (गोहांड मतलब कई गाँव का एरिया). जिन्न तुरंत भयंकर रूप लेकर धूने की तरफ बढ़ा लेकिन दूर से ही उसकी इतन जलन हुई की वो नजदीक भी न जा सका.

जिन्न Jinn – मैं छोडूंगा नहीं, बूरा हाल करूँगा तेरा बोलकर जाता रहा.

दादा गुरु – ने उसको बुलाने के लिए उस सारी रात मन्त्र अनुष्ठान किया लेकिन वो नहीं आया. तब दादा गुरु जी ने बेल जंजीर ली और उसको शाबर मन्त्र से अभिमंत्रित करके धूने में छोड़ दिया और तब अगली रात जिन्नों के शाबर मंत्र का अनुष्ठान किया. मंत्रो के प्रभाव से कई जिन्न सेवक आ गये थे वो सब उस मरीद से ज्यादा ताकतवर थे क्योंकि दादा गुरु का आशीर्वाद इन पर भी था. दादा गुरु जी ने उन सब को आदेश दिया की जल्द से जल्द उस जिन्न को पकड़ कर पेश करो. फिर क्या था कुछ ही सेकंड में वो जिन्न को पकड़ कर ले आये.

            वो जैसे ही सामने आया दादा गुरु जी ने तुरंत वो जंजीर धूने से निकालकर उस मरीद जिन्न के गले में डाल दिया. जिन्न तडपने लगा और बोला मुझे माफ़ कर दो और छोड़ दो. दादा गुरु जी बोले की अब भूल जाओ आजादी अब इसी तरह तुझे रहना पड़ेगा.

जिन्न बोला – अरे इस पीड़ा से मुक्ति तो चाहे तो मुझसे गुलामी वाले 3 वचन ले लो.

दादा गुरु बोले – गुलाम तो मेरे पास आकर स्वतंत्र हो जाते है, मैं किसी को गुलाम नहीं बनाता. लेकिन तुझसे एक वचन जरूर लूँगा.

-       वचन दे की तू आज से कभी किसी को भूलकर भी परेशान नहीं करेगा. और जहां तक हो सके सबकी मदद करेगा. बोल देता है वचन.

जिन्न – जी गुरुदेव मुझे अपने इष्ट की आन है आज से ही मैं आपके वचन के लिए मेरा ईमान है और मैं आपको ये वचन देता हूँ.

इस तरह काफी मिन्नत करने के बाद दादा गुरु जी ने उससे वचन लेकर उसे आजाद कर दिया. 

 

जिन्न जिन्नात सिद्धि Jinn Jinnat Kabu Siddhi
जिन्न जिन्नात सिद्धि Jinn Jinnat Kabu Siddhi

Jinn ke Gale mein Janjir daal di. जिन्न के गले में जंजीर डाल दी थी, भूत प्रेत और जिन्न के सम्राट दादा गुरु. Bhoot pret or Jinn ke Samarat Dada Guru. जिन्न जिन्नात को कैसे किया काबू नाथ जी ने. Nath Ji ne Kaise kiya Jinn Jinnat ko kaabu

 

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