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Saptam Bhaav mein Chandra ke Saath Anya Grahon ki Yuti or Parinaam | सप्तम भाव में चन्द्र के साथ अन्य ग्रहों की युति और परिणाम

सप्तम भाव में चंद्र के साथ अन्य गृह की युति के परिणाम :

1.       चंद्र और सूर्य की युति : चंद्र की और सूर्य की सप्तम भाव में युति व्यक्ति के अंदर अहम का भाव पैदा करती है और व्यक्ति अपना कार्य निकलवाने के लिए कूटनीति को अपनाता है. इनकी युति से व्यक्ति के व्यवहार से कोमलता चली जाती है और वे क्रोधी हो जाते है, साथ ही इनका मन हमेशा अस्थिर रहता है. इनके प्रभाव को रोकने के लिए आपको चंद्र के प्रभाव को बढ़ाना होगा और उसके लिए आप हर सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर उन्हें जलाभिषेक करे.


2.       चंद्र और मंगल की युति : क्योकि मंगल भी सूर्य की ही तरह अग्नि समान होता है तो इससे भी जातक का स्वभाव उग्र हो जाता है. साथ ही मंगल को ग्रहों का सेनापति भी कहा जाता है, सेनापति से अभिप्राय उस व्यक्ति से होता है जो युद्ध और शक्ति प्रदर्शन दिखने के लिए हमेशा उतारू रहता है. इनकी युति भी जातक को ऐसा ही बना देती है. ये जातक अपने कार्य के परिणाम के बारे में विचार किये बिना ही हमेशा आगे बढ़ते रहते है. जिसकी वजह से इन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है. इनकी वाणी में भी कोमलता नही होती है जिसकी वजह से ये अपने ही मित्रो को अपना शत्रु बना लेते है. इन जातको को हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहियें, ताकि ये मंगल के प्रभाव को कम कर सके और इन्हें लाभ प्राप्त हो सके.


3.       चंद्र और बुध की युति : बुध को बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है तो जस भी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा और बुध की युति होती है, वो व्यक्ति बहुत ही बुद्धिमान और समझदार होते है. ये जातक अपने आप को परिस्थिति के आधार पर ढाल सकते है और इनमे परिस्थितियों से लड़ने की भी असीम क्षमता होती है. ये अपनी बातो को किसी के सामने बड़ी ही चतुराई से रखते है और आसानी से अपने काम को निकल लेते है.  CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
सप्तम भाव में चन्द्र के साथ अन्य ग्रहों की युति और परिणाम
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4.       चंद्र और गुरु की युति : ग्रहों में गुरु को मंत्री और गुरु का दर्जा प्राप्त है और मंत्री का कार्य होता है सलाह देना, साथ ही सलाह तो वो देता है ना जो बुद्धिमान हो, ज्ञानी हो. इसका सीधा अर्थ ये है कि इन दोनों की युति बुद्धिमता को दर्शाती है, साथ ही ये लोग बोलते भी बहुत है. इन जातको को सलाहकार, शिक्षक जैसे क्षेत्रो में अत्यधिक सफलता प्राप्त होती है. क्योकि इस तरह के कार्यो में बोलना अधिक होता है और बोलना तो इन जातको की योग्यता होती है. 


5.       चंद्र और शुक्र की युति : शुक्र ग्रह आकर्षण को दर्शाता है. इनकी युति से जातक आकर्षक और सुन्दर होता है. साथ ही इनमे अपनी सुन्दरता को दिखने की भी अधिक चाहत होती है. इसके अलावा इन जातको की वाणी में कुशलता और विचारो में कल्पनाशीलता भी पायी जाती है. ये लोग कला के प्रति विशेष रूचि रखते है. 


6.       चंद्र और शनि की युति : शनि देव जी न्याय के देवता माने जाते है तो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र के साथ शनि की युति होने का अर्थ है कि वो व्यक्ति न्यायप्रिय है और व्यक्ति मेहनत से नही घबराता. साथ ही ऐसे व्यक्ति अपने जीवन का आधार भी सच्चाई, ईमानदारी और मेहनत को ही मानते है. किन्तु इन व्यक्तियों के सवभाव में बहुत ही अस्थिरता मिलती है, छोटी छोटी असफलताएं भी इनके मन में निराशा को उत्तपन कर देती है. 


7.       चंद्र और राहू की युति : राहू की युति होने पर व्यक्ति रहस्यमयी हो जाता है और वो कल्पना की दुनिया में खोया रहता है. ऐसे जातको को किसी भी विषय के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है और इसी वजह से ये अपने हर विषय के अच्छे ज्ञाता होते है. इनके स्वभाव में एक कमी ये होती है कि ये अफवाहों और सुनी हुई बातो पर जल्दी विश्वास कर लेते है. 


8.       चंद्र और केतु की युति : केतु जोश को बढ़ाता है इसलिए इसके कुछ कार्य ऐसे होते है जिन्हें ये बहुत ही जल्दबाजी में कर देता है और बाद में इन्हें उन कार्यो के लिए पछताना पड़ता है. लेकिन इनमे एक अच्छी आदत ये होती है कि ये अपनी गलतियों से जल्दी ही सिख लेते है. इन्हें ज्योतिष शास्त्र में भी अधिक विश्वास करते है. ये सच्चाई के लिए और अच्छाई के लिए आवाज़ उठाने से नही घबराते और सदैव दुसरो की मदद करने की कोशिश करते रहते है. 


9.       शनि और पाप ग्रह की युति जब शनि और मंगल की युति बनती है तब दोनों मिलकर अशुभ प्रभाव देने लगते है और जातक को मानसिक और शारीरिक पीड़ा देने लगते है. जिसकी वजह से जातक को अपने जीवन में अनेक प्रकार के संकतो और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. 


10.   शनि, राहू और केतु की युति : ये बहुत ही कष्टकारी युति हो जाती है क्योकि ये सभी तरह के अशुभ फल देने में सक्षम होते है. जब शनि की युति इनमे से किसी भी एक के साथ होती है तो शनि और भी पाप प्रभाव देने वाला बन जाता है. राहू और शनि की युति के मध्य संबंध बनने पर जातक के स्वास्थ्य में अशुभ प्रभाव पड़ता है. अगर दोनों की युति कुंडली के नवम भाव में होती है तो जातक को हृदय या फिर गले का रोग होने की अधिक सम्भावना होती है. साथ ही इनकी युति कार्यो की सम्पन्नता में भी बाधक होती है. लेकिन शनि की केतु के साथ युति होने पर जातक को पीड़ा देती है. इनकी युति से मानसिक पीड़ा और निराशात्मक विचार बढ़ते है.
 
Saptam Bhaav mein Chandra ke Saath Anya Grahon ki Yuti or Parinaam
Saptam Bhaav mein Chandra ke Saath


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2 comments:

  1. सूर्य शुक्र बुध की युति

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  2. Kripaya surya, budh aur mangal ki kanya lagna ke pancham stan me yuti ke phal batayen

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