विवाह के विभिन्न प्रकार
सनातन धर्म में विभिन्न
प्रकार के विवाह होते हैं. जिनका वर्णन निम्नलिखित किया गया हैं –
1.
ब्रह्म विवाह – ब्रह्म विवाह दो पक्षों की सहमती से होता हैं. इसमें
लडकी के परिवार के सदस्य लडकी का रिश्ता एक सुशिक्षित और चरित्रवान वर से निश्चित
कर देते हैं. इसके बाद आदर और पुरे मान – सम्मान के साथ उन्हें अपने घर पर बुला कर
अपनी कन्या का विवाह वर से कर देते हैं. यह “ब्रह्म विवाह” कहलाता हैं. ब्रह्म
विवाह के बाद कन्या के माता – पिता अपनी कन्या को आभूषण सहित वर के साथ विदा कर
देते हैं. आज के आधुनिक युग में ब्रह्म विवाह के लिए “अरेन्ज मेरिज” (Arrange Marriage) शब्द का प्रयोग किया जाता हैं जो कि ब्रह्म विवाह का ही रूप हैं.
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Vivah Ke Vibhinn Prakar |
2.
दैव विवाह – माता – पिता द्वारा अपनी कन्या को किसी धार्मिक
अनुष्ठान, सेवा कार्य तथा किसी विशेष यज्ञ के समाप्त होने के बाद दक्षिणा के रूप
में दान कर देना और ऋषि या संत का उस कन्या से विवाह कर लेना “दैव विवाह” कहलाता
हैं.
3.
आर्ष विवाह – आर्ष विवाह में कन्या के माता – पिता को कन्या का मूल्य
दे दिया जाता हैं. इसमें कन्या का मूल्य देने के बाद दूसरे पक्ष के द्वारा गाय का
दान दिया जाता और इसके बाद कन्या से विवाह किया जाता हैं. कन्या का मूल्य देने के
बाद तथा गाय का दान करने के बाद कन्या से विवाह करना “आर्ष विवाह” कहलाता हैं.
4.
प्रजापत्य विवाह – इस विवाह में दोनों पक्ष अपने – अपने धर्म का अनुसरण
करते हैं. इस विवाह में कन्या की सहमती के बिना उसका विवाह किसी सुप्रतिष्ठित वर्ग
के वर से कर दिया जाता हैं. यह विवाह “प्रजापत्य विवाह” कहलाता हैं.
5.
गंधर्व विवाह – दोनों पक्षों की सहमती के बिना वर एवं कन्या का स्वयं
विवाह कर लेना “गंधर्व विवाह” कहलाता हैं. इस विवाह में वर एवं कन्या प्रेम वष में
होकर बिना किसी रीति – रिवाज का पालन किए केवल भगवान को साक्षी मानकर एक – दुसरे
को वरमाला पहनाकर कन्या की मांग में सिंदूर भर कर विवाह कर लेते हैं.
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विवाह के विभिन्न प्रकार |
6.
असुर विवाह – इस विवाह में कन्या के माता – पिता को कन्या का मूल्य
देकर कन्या से विवाह कर लिया जाता हैं अर्थात कन्या को खरीद कर उसके बदले में पैसे
देकर किया जाने वाला विवाह “असुर विवाह” कहलाता हैं.
7.
राक्षस विवाह – कन्या से जबरदस्ती विवाह कर लेना “राक्षस विवाह” कहलाता
हैं. इस विवाह में कन्या के घर वालों की हत्या कर दी जाती हैं और कन्या का अपहरण
कर उसे कहीं लेजाकर शक्ति के बल पर कन्या की सहमती के बिना उससे विवाह किया जाता
हैं.
8.
पैशाच विवाह – कन्या के बेहोश होने का , गहरी निंद मे सोने का, मानसिक
रूप से कमजोर होने का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म करना या शारीरिक सम्बन्ध
बनाकर उसे लोक - लाज का भय दिखाकर उससे जबरदस्ती विवाह करना “पैशाच विवाह” कहलाता
हैं.
सनातन धर्म में इनमें से
कुछ प्रकार के विवाह आज भी होते हैं. विवाह के इन प्रकारों को समाज के लोग अपने –
अपने नजरिए से देखते हैं और इन्हें सम्मान और अपमान के अनुपात में रखते हैं.
किन्तु इन विवाहों में से किसी पद्धति को पानकर विवाह करने वाले व्यक्ति धर्म और
अधर्म की परवाह नहीं करते और विवाह कर लते हैं.
सबसे शुभ विवाह ब्रह्म
विवाह की पद्धति को माना जाता हैं. ब्रह्म विवाह को करने के लिए लोगों को अपने घर
के गुरुओं की तथा घर के बुजुर्गों की सलाह तथा सहमती अवश्य लेनी चाहिए.
विवाह के विभिन्न
प्रकार से सम्बन्धित विषय के बारे में कुछ और बातों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट
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Different Types Of Marriage |
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विषय उत्तम है मुझे वैदिक वाङ्मय में विवाह विवेचन विषय पर सामग्री अपेक्षित है ।
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