आज का बौद्धिक स्तर ( Today’s Livelihood )
बौधिक स्तर से अभिप्राय दिमागी विचारधारा होता है, इसमें आप ये देख सकते है कि व्यक्ति का दिमाग हर परिस्थिति में किस तरह चलता
है और वो परिस्थितियों के अनुसार किस प्रकार खुद को ढालता है. जिस तरह हम कहते है
कि हर घर की नींव उसके लिए अहम होती है ठीक उसी तरह बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा भी
उसके बौधिक और मानसिक विकास के लिए लाभदायी होती है. समय के साथ साथ सब कुछ बदलता
चला जाता है, ठीक इसी तरह से शिक्षा देने
का माध्यम भी बदला है. जहाँ पहले के बच्चे छोटी उम्र में ही अपने घरों को त्याग कर
गुरुकुल में चले जाते थे और अपने गुरुओं को ही अपना सबकुछ मानते थे, वहीँ आज जगह जगह स्कूल खुल गए है जहाँ बच्चे रोजाना अपने घर आते है और अपने
परिवारजनों के पल्लू से बंद जाते है. इस तरह ना तो वो समाज को नहीं समझ पाते. CLICK HERE TO KNOW क्या है गुरु का महत्व ....
Badalta Baudhik Str |
गुरुकुल में शिक्षा इस तरह दी जाती थी कि उन्हें समाज के हर तबके के बारे में
अच्छी तरह विस्तार से समझाया जाता था और यही उनको हर परिस्थिति से लड़ने में भी
सक्षम बनाती थी. समाज में रहकर वे हर परिस्थिति का अनुभव कर चुके होते थे इसीलिए
उन्हें हर परिस्थिति से बाहर निकलना भी आता था, जबकि आज के
विद्यार्थियों में ये सब नदारद है. वे परिस्थियों से लड़ने की बजाएं उनसे बचना
बेहतर समझते है. इस तरह से उनका मानसिक और बौधिक विकास रुका हुआ सा महसूस होता है.
आज हम अपनी इस पोस्ट में बौद्धिक से जुडी कुछ ऐसी ही रोचक बातों की चर्चा
करेंगे.
· सोच में परिवर्तन ( Changes in Thinking ) : आप आज के पढ़े लिखे
व शिक्षित लोगों की तरफ देखें वे पहले के शिक्षित लोगों से ठीक विपरीत कार्य करते
है. आज के शिक्षित लोगों में विनम्रता, सरलता और धैर्य
दिखाई नहीं देता, उसके विपरीत उनमें
चालाकी, अहंकार, बेमानी, जल्दबाजी भरी दिखाई देती
है. जबकि पहले के छात्रों में सरलता को बनायें रखने के लिए गुरुजन उन्हें हर घर
में भिक्षा मांगने के लिए भेज देते थे. जिससे उनके मन से ऊँच नीच और भेदभाव जैसी
भावना खत्म हो जाती है और ये भावना ही सभी गलत विचारों की जननी होती है. इसके खत्म
होते ही छात्र नेकी के मार्ग पर चलने लगते थे, उनमें भाईचारा पनपता
था. CLICK HERE TO KNOW ध्यान कैसे करें और इसकी प्रक्रिया ...
बदलता बौधिक स्तर |
· बौद्धिक स्तर के 2
भाग ( 2 Types of
Intellectual Level ) : देखा जाएँ तो
बौद्धिक स्तर को दो भागों में बांटा जा सकता है पहला बुद्धिमान और दुसरा मुर्ख. अब
बुद्धिमान भी दो तरह के होते है. एक तो बुद्धिमान और दुसरे सद्बुद्धिमान.
सद्बुद्धिमान को आप चालाकी और समझदारी का योग भी कह सकते है. इसी से बुद्धि की
वृद्धि भी होती है. आज के लोग चालाक बनने की अधिक कोशिश करते है नाकि समझदार बनने
की. यही कारण है कि आज के समय में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन बदलता जा रहा है.
· नागरिकता का लोप ( Loss of Citizenship ) : आज के लोगों के
बौद्धिक स्तर और पहले के लोगों के बौद्धिक स्तर में अंतर आप इसी बात से देख सकते
हो कि पहले के लोग समाज को सदृढ़ करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे किन्तु आज के समय
में लोग अपना फायदा देखते हुए समाज को अधिक से अधिक हानि पहुंचाने के लिए भी तैयार
रहते है. जो समाज के विनाश की तरफ इशारा करता है. इस तरह लोगों में नागरिकता दिन
प्रतिदिन विलुप्त होती जा रही है.
· भोजन की सात्विकता ( Importance of Food ) : भोजन करने से पहले
हमेशा उन्हें कुछ बातों जैसे सत, रज व तम इत्यादि के
बारे में सचेत किया जाता था किन्तु आज के समय में व्यक्ति ना चाहते हुए भी विशुद्ध
भोजन का सेवन करते है. इस तरह का भोजन मात्र रोग उत्पन्न करता है, कुछ लोगों पर इस तरह के भोजन का ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वे अपना मानसिक संतुलन
खो देते है, जिसका असर समाज को भी झेलना
पड़ता है.
Changing Intellectual Level
of Today’s Life
|
· सतोगुणी बुद्धि व
सद्बुद्धि में अंतर ( Difference in Knowledge and Wisdom ) : अगर किसी व्यक्ति की
बुद्धि सतोगुणी ना हो तो उसे जीवन में सफलता तो मिलती है, साथ ही वो कुशल भी होता है किन्तु वो हमेशा उलझनों में फंसा रहता है, तिकड़म करता रहता है, तनाव ग्रस्त रहता है, छल कपट का शिकार होता रहता है इत्यादि. वहीँ अगर सद्बुद्धि होने पर व्यक्ति को
अपनी जिम्मेदारी का बोध होता है, उसका मन शांत रहता है, वो परमात्मा को पाने के मार्ग की तरफ प्रेरित रहता है, ईमानदारी उसके व्यक्तित्व की पहचान होती है.
बदलते बौद्धिक स्तर के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके
जानकारी हासिल कर सकते हो.
सोच में आता परिवर्तन |
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