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Gomati Chakra or Smaadhaan | गोमती चक्र और समाधान | Gomati Chakra and Solution

गोमती चक्र ( Gomati Chakra )
हर व्यक्ति के जीवन में हमेशा कुछ ना कुछ समस्याएं आती ही रहती है, इनमें से कुछ छोटी होती है तो कुछ बड़ी. साथ ही कुछ समस्याओं का समाधान खुद ही निकल जाता है तो कुछ के लिए हमें खुद कुछ उपायों को अपना पड़ता है और उन्हें जड़ से खत्म करने का प्रयास करना पड़ता है. ऐसे में लोगों को  सबसे पहले तंत्र शास्त्र का स्मरण होता है क्योकि इसके माध्यम से हम उन सब शक्तियों को भी हरा सकते है जिनके बारे में हमे कुछ नही पता और जब तंत्र शास्त्र की बात की जाती है तो उसमें सबसे पहले गोमती पत्थर का नाम आता है क्योकि गोमती चक्र तंत्र मंत्र और यन्त्र के लिए विख्यात है. दिखने में ये पत्थर जितना साधारण दीखता है उतना ही अधिक ये प्रभावशाली भी होता है. साथ ही आपको बता दें कि इस पत्थर की कीमत कम होती है और ये गोमती नदी में मिलते है. CLICK HERE TO KNOW दुर्लभ गोमती चक्र का प्रयोग ...
Gomati Chakra or Smaadhaan
Gomati Chakra or Smaadhaan
गोमती चक्र की उत्पत्ति ( Origin of Gomati Chakra ) :
गोमती चक्र की कथा समुन्द्र मंथन की कथा से जुडी है. उस वक़्त जब देव और दानव दोनों समुद्र मंथन कर रहें थे तब पृथ्वी मंथन की रगड़ और गर्जना से उत्तप्त हो रही थी. अपनी परेशानी को बताने के लिए उन्होंने गाय रूप धारण किया और श्री हरी विष्णु के पास पहुंची. उनकी व्यथा को सुनकर विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र की मदद से समुद्र में चक्रवाती तरंग उत्पन्न की, वो तरंग गोलाकार और इतनी भयंकर थी कि पूरा मंदराचल पर्वत भी उसकी चपेट में आ गया और इतनी तीव्र गति से घुमने लगा कि वो पृथ्वी से उठाकर हवा में आ गया. विष्णु द्वारा उत्पन्न की गयी इसी चक्रवाती तरंग को भँवर कहा जाता है, ये भँवर अपने अंदर बड़े से बड़े जलपोतों को भी डूबा लेते है.

जब मंदराचल हवा में उठाने के बाद भी घूमता रहा तो पर्वत के नीचे वाले स्थान से अनेक लावारूपी पत्थर, मणियाँ, धातुएं, शंख इत्यादि छिटकने लगे और समुद्र से बाहर आकर गिरने लगे. इन रत्नों में से कुछ बहुत कीमती थे लेकिन घर्षण ने उन्हें पिंघला दिया और जब वे पिंघलकर पानी की सतह पर आये तो ठंडे पड गए साथ ही भँवर के कारण उन्होंने गोल रूप भी ले लिया. इन रत्नों की संख्या पानी के ऊपर इतनी अधिक हो गयी कि भँवर तक हल्का पड़ने लगा, साथ ही समुद्र मंथन भी रुक गया. CLICK HERE TO KNOW लाशों को बदलें डायमंड में ...
गोमती चक्र और समाधान
गोमती चक्र और समाधान
पानी ( वरुण ) की सतह के नीचे, पेंदें और माता पृथ्वी ( गौ रूप धारणी ) के ऊपर वाली सतह के मध्यवर्ती सभी रत्न धातुओं को गो मिटटी या गो मृत्तिका या फिर गोमती चक्र  का नाम दिया गया. क्योकि मंथन के दौरान वरुण यानि जल में घर्षण के कारण काफी रासायनिक बदलाव आये थे इसीलिए इन गोमती चक्रों में अविचित्र शक्तियाँ समाहित हो गयी. साथ ही गौ रूपी माता पृथ्वी ने इन्हें धन सम्पदा प्रदान करने की शक्ति का आशीर्वाद भी दिया. इस तरह देखा जाएँ तो गोमती चक्र एक ऐसा शक्तिशाली पदार्थ है जो जैम में रासायनिक प्रभाव और घर्षण के कारण उत्पन्न हुआ था. अगर इसके उपयुक्त लोग इसका नियम से प्रयोग करते है तो उनकी सभी बाधाएं और समस्याएं निश्चित रूप से दूर होती है.

तंत्र शास्त्र में गोमती चक्र का प्रयोग ( Use of Gomati Chakra in Tantra Shastra ) :
तंत्र शास्त्र वालों का मानना है कि उन्हें अपननी तांत्रिक क्रियाओं के लिए एक ऐसे पत्थर की आवश्यकता होती है जो दिखे में तो सिंपल साधारण हो किन्तु उसमें अनेक शक्तियां समाहित हो और इसीलिए गोमती चक्र उनके लिए सबसे उचित रत्न पत्थर माना जाता है. लेकिन इस पत्थर को पूजा में इस्तेमाल करने से पहले वे इसे प्राणप्रतिष्ठित करते है ताकि उसमें सिद्धि दायी शक्तियां भी आ जाएँ.
Gomati Chakra and Solution
Gomati Chakra and Solution
तंत्रों में इसके अनेक तरह उपयोग किया जाता है जैसेकि मानसिक शान्ति के लिए, दर पर विजय पाने के लिए, गरीबी मिटाने के लिए, कोर्ट के झंझट से मुक्ति पाने के लिए, भुत बाधा को दूर करने के लिए, शत्रु को पीड़ा देने और उससे मुक्ति पाने के लिए, धन इक्कठा करने के लिए, संतान की चाह को पूरा करने, सम्मोहन, वशीकरण, मारण, स्थम्भन, व्यापार वृद्धि, अचल स्थिरलक्ष्मी, देह व्याधि, दुस्वप्न से छुटकारा इत्यादि. कुछ लोग तो इसे खुद ही सिद्ध कर लेते है जबकि कुछ लोगों को इसकी सिद्धि के निर्देश भी मिलते है. वहीँ अगर आप ऐसे गोमती चक्र का प्रयोग कर रहे है जो अभिमंत्रित है तो इससे गोमती चक्र का प्रभाव सौ गुना अधिक हो जाता है.

गोमती चक्र सिद्धिदायक दिन ( Fruitful Day for Gomati Chakra Prayer ) :
होली, दिवाली, नवरात्रे के त्यौहारों के दिनों में इस पत्थर का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है, इसके अलावा अमास्या या ग्रहण के दिन भी गोमती चक्र के प्रयोग के लिए खा और सिद्धिदायी माने जाते है. कुछ मुहूर्त जैसेकि गुरुपुष्य योग, रवि पुष्य योग, सर्वसिद्धि योग इत्यादि के दिनों में भी इसकी पूजा करना लाभदायी मानी जाती है.

गोमती चक्र, इसकी उत्पत्ति, इसके तंत्रों में प्रयोग या इससे जुडी किसी भी अन्य जानकारी को पाने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो. 
चमत्कारी गोमती चक्र की उत्पत्ति
चमत्कारी गोमती चक्र की उत्पत्ति

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