महाभारत के श्राप
लगभग हर धर्म ग्रंथ में
श्रापों का वर्णन जरुर मिलता है और हर श्राप के पीछे कोई ना कोई वजह और आगे भलाई
जरुर छिपी होती है जैसेकि कई श्राप संसार के उज्जवल भविष्य के लिए होते है, तो कुछ लोगों को शिक्षा देने के
लिए, वहीं कुछ ऐसे श्राप भी होते है जो एक नयी कहानी की
शुरुआत करते है. आज हम आपको महाभारत के 5 ऐसे ही श्रापों के बारे में बताने वाले
है जिन्होंने इतिहास बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज वर्तमान में भी उनके
प्रभाव को महसूस किया जा सकता है. CLICK HERE TO KNOW रामायण महाभारत का एक अंतर ...
जाने महाभारत के 5 श्राप जो आज भी प्रभाव बनाये हुए है |
महाभारत के प्रमुख श्राप
:
1. युधिष्ठिर का श्राप : हम सब बचपन से ही महाभारत रामायण जैसे धर्म ग्रंथों को पढ़ते और सुनते
आये है इसीलिए उनके मुख्य किरदार हमारे जहन में बस जाते है. ऐसे ही महाभारत के एक
मुख्य किरदार है युधिष्ठिर, जो
पांडवों के भाई भी थे. महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद जब उन्हें ये पता चला
कि उनकी माँ कुंती ने उनसे ये राज छुपा रखा था कि कर्ण उनका बड़ा भाई है तो
उन्होंने संसार की हर स्त्री को श्राप दे दिया कि “ आज के
बाद कोई भी स्त्री किसी भी तरह की बात को गोपनीय नहीं रख पाएगी “.
उनका ये श्राप आज तक
प्रभाव में है इसीलिए आपने देखा होगा कि स्त्रियों कभी किसी बात को छुपा नहीं पाती
और अपनी फ्रेंड्स को सब कुछ बता देती है जिसे हम चुगली का नाम भी दे देते है.
Janen Mahabharat ke 5 Shraap Jo Aaj bhi Prabhav Banaye Huye Hai |
2. श्रृंगी ऋषि का श्राप : पांडवों ने अपना सारा राजपाठ अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को सोंप
दिया था और वे सब स्वर्ग लोक की तरफ प्रस्थान कर गये थे. उस वक़्त राजा परीक्षित के
शासन में प्रजा सुख शान्ति से जी रही थी, कलयुग भी आ चूका था लेकिन परीक्षित के रहते वो संसार
पर हावी नहीं हो पा रहा था. ऐसे में एक दिन राजा परीक्षित आखेट के लिए वन में गये
और वहां ऋषि शमीक से मिले.
उस वक़्त ऋषि अपनी तपस्या
में पूरी तरह से लीन थे और उन्होंने मौन व्रत का प्राण भी लिया हुआ था लेकिन राजा
परीक्षित के कई बार बोलने पर भी जब वे नहीं बोले तो उन्होंने ऋषि शमीक के गले में
एक मरा हुआ साँप डाल दिया. ये बात ऋषि शमीक के पुत्र ऋषि श्रृंगी को मिली और
उन्होंने गुस्से में आकर राजा को श्राप दे दिया कि 7 दिनों के बाद तक्षक नाग राजा
परीक्षित को डस लेगा और उनकी मृत्यु हो जायेगी. ऋषि श्रृंगी के श्राप के कारण राजा
तो मर गया लेकिन उसके बाद कलयुग संसार पर हावी हो गया जिसका प्रभाव हम सब आज तक
देख सकते है.
Mahabharat ke Charchit Shraap |
3. श्री कृष्ण का श्राप : महाभारत युद्ध के अंतिम समय में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य
के पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों पर ब्रह्मास्त्र चला दिया, जिससे बचने के लिए अर्जुन को भी
ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना पडा. दो ब्रह्मास्त्रों के टकराने से पूरी सृष्टि के
खत्म होने की नौबत आ गयी थी जिसे रोकने के लिए महर्षि व्यास ने दोनों अस्त्रों को
टकराने से रोका और फिर दोनों योद्धाओं से अपने अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने की
मांग की.
अर्जुन ने तो अपना
ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र को वापस लेना नहीं जानता
था और उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की गर्भ की तरफ कर
दी ताकि पांडवों का वंश भी खत्म हो जाए. जिसे देखकर भगवान श्रीकृष्ण को क्रोध आ
गया और उन्होंने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तूम 3 हजार साल तक धरती पर सड़ोगे, तेरे शरीर से खून और पीब निकलती
रहेगी, पृथ्वी पर सदा भटकने के बाद भी कोई भी तुमसे बात नहीं
कर पायेगा और तुम 3000 सालों तक मौत के लिए तरसोगे.
Aakhir Kyo Diya Yudhishthir ne Auraton ko Shraap |
4. मंडव्य ऋषि का श्राप : महाभारत में मंडव्य ऋषि के बारे में बहुत कम लोगों ने सूना है. एक
बार उनकी गलती ना होते हुए भी राजा ने उन्हें भूलवश पकडवा लिया और सजा दी कि
उन्हें शूली पर चढ़ा दिया जाए. लेकिन काफी देर शूली पर लटके रहने पर भी ऋषि के
प्राण नहीं गये, इसपर
राजा को अपनी गलती समझ आ गयी और उन्होंने ऋषि से माफ़ी मांगी.
राजा को माफ़ करने के बाद
ऋषि यमराज के पास गये और उनसे अपने अपराध के बारे में पूछा. इसपर यमराज ने बताया
कि आपने 12 वर्ष की उम्र में एक कीड़े की पूंछ में सुई चुभा दी थी जिसके कारण आपको
शूल की सजा मिली. इसपर ऋषि को क्रोध आ गया, उन्होंने कहा कि 12 साल की उम्र में बच्चों को पता
ही नहीं होता कि क्या धर्म है और क्या अधर्म. इसलिए उन्हें इतने छोटे और अनजाने
में किये पाप की इतनी बड़ी सजा नहीं मिलनी चाहिए थी. ऋषि ने यमराज को श्राप दिया कि
आपको शुद्र योनी में एक दासी के पुत्र में जन्म लेना पड़ेगा, जिसके
कारण यमराज ने विदुर के रूप में जन्म लिया.
Aaj Tak Ghum Raha Hai Shapit Ashwathama |
5. उर्वशी का श्राप : अर्जुन महाभारत के सबसे प्रिय और सबसे शक्तिशाली किरदार रहे है. एक
बार वे स्वर्ग लोग गये थे, जहाँ
अप्सरा उर्वशी उनपर आकर्षित हो गयी. जब उर्वशी ने अर्जुन को अपने प्रेम के बारे
में बताया तो अर्जुन ने उन्हें अपनी माता के समान बताया. जिसपर उर्वशी को गुस्सा आ
गया और उन्होंने अर्जुन को श्राप दिया कि तुम्हे नपुंसकों की तरह रहना पड़ेगा और
उन्ही की तरह नृत्य भी करना पड़ेगा.
अर्जुन इस श्राप से घबरा
गये और उन्होंने इसके बारे में देवराज इंद्रा को बताया, जहाँ देवराज ने अर्जुन को कहा कि
तुम्हे घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योकि ये श्राप उनके जीवन में एक अहम रोल अदा
करेगा और मुश्किल समय में तुम्हारे काम आएगा. ऐसा हुआ भी और अज्ञातवास के दौरान
अर्जुन कौरवों से छुपने के लिए एक नृतक की तरह रहे और उनसे बचे रहे.
तो दोस्तों ये है वे 5
श्राप जिन्होंने महाभारत जैसे ग्रंथ में अपना एक अहम रोल अदा किया और जिनका प्रभाव
आज तक बना हुआ है. इनके अलावा भी महाभारत में कुछ और श्राप भी दिए गये थे और हर श्राप
किसी ना किसी रूप से हर किसी से जुडा हुआ था क्योकि इस संसार में जो कुछ भी होता
है वो हर किसी से जुड़ा होता है.
महाभारत के अन्य श्रापों के
बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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