गूगल सर्च
दोस्तों आज हर घर में
बच्चे से लेकर बड़े सभी इन्टरनेट का इस्तेमाल करते है और जब भी बात इंटरनेट और
इंटरनेट सर्फिंग की हो तो सबसे पहले नाम आता है गूगल सर्च इंजन का. जहाँ आप कुछ भी
लिखो, आपको
तुरंत उसका नतीजा मिल जाएगा. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ये सब होता कैसे
है? कैसे गूगल को हर चीज का पता है? कैसे
गूगल किसी इनपुट को पढ़कर उसका रिजल्ट हमे देता है? आज हम
आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले है तो चलिए शुरू करते है. CLICK HERE TO KNOW अब कपड़ों में करें अपना डाटा स्टोर कैसे ...
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गूगल सर्च कैसे काम करता है |
इंटरनेट में सुधार :
दोस्तों अगर आपको कुछ साल
पहले की बातें याद हो तो आपको 10-15 रूपये देकर साइबर कैफ़े में जाकर इंटरनेट
इस्तेमाल करने को मिलता था, जिसकी
स्पीड 2G से भी स्लो होती थी और उस
वक़्त हमे हर वेबसाइट का नाम याद रखना पड़ता था ताकि कोई तो वेबसाइट काम कर जाए.
लेकिन आज सब कुछ इतना इजी और फ़ास्ट हो गया है कि सिर्फ आपके बोलने भर से आपके
सवालों के जवाब आपको मिल जाते है. इतना ही नहीं गूगल में आप कुछ भी डालों आपको
उसके बारे में तुरंत सही और स्टीक जानकारी भी मिल जाती है. लेकिन सवाल वहीँ कि
इंटरनेट पर मौजूद ये सर्च इंजन काम कैसे करते है?
कैसे काम करता है सर्च
इंजन :
मान लो कि आप जानना चाहते
हो कि सचिन तेंदुलकर कौन है? तो इसके लिए आप गूगल सर्च इंजन में टाइप करोगे कि Who is Sachin Tendulkar? या Sachin Tendulkar Kaun Hai या सिर्फ Sachin Tendulkar. कहने का मतलब है कि आप सचिन तेंदुलकर से रिलेटेड
कोई ना कोई कीवर्ड तो डालोगे ही, ऐसे में गूगल को कैसे पता चलेगा कि क्या जवाब देना है और कहाँ से देना है?
और जो वो अलग अलग वेबसाइट से रिजल्ट ढूंढ कर लाता है क्या उनमे आपको
सही जानकारी मिलेगी? उनमे से कौन सी वेबसाइट दिखानी है और
कौन सी नहीं?
गूगल के वोर्किंग प्रोसेस
को जानने से पहले आप और जान लें कि इन्टरनेट सिर्फ गूगल ही नहीं है और गूगल पुरे
इन्टरनेट को सर्च नहीं कर सकता बल्कि गूगल के अलावा भी इन्टरनेट बहुत कुछ है
जैसेकि डीप वेब या डार्क वेब इत्यादि.
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Google Search Kaise Kaam Karta Hai |
वेब क्रॉलर या स्पाइडर
इंडेक्स :
इसलिए गूगल सिर्फ उन्ही
वेबसाइट को दिखा सकता है जो उसके पास इंडेक्स्ड है और किसी भी कीवर्ड को सर्च करने
के लिए गूगल एक वेब प्रोग्राम की मदद लेता है जिसका नाम है वेब क्रॉलर, जिसे हम स्पाइडर के नाम से भी
जानते है. दरअसल वेब क्रॉलर या स्पाइडर कुछ ऐसे प्रोग्राम है जो हर वेबसाइट को
पूरी तरह स्कैन करते है, उनके वेब पेजेज को स्कैन करते है और
देखते है कि उन वेब पेजेज पर कौन कौन से लिंक दिए गए है.
कीवर्ड सर्च :
उसके बाद एक वेब पेज के
लिंक से दुसरे वेब पेज के लिंक पर जाते है और ऐसे करते करते वेब क्रॉलर एक बहुत
बड़े इंडेक्स को बना लेता है. ऐसे में जो आपके कीवर्ड सर्च किया था “ Who is Sachin Tendulkar ”. गूगल इन सभी कीवर्ड को उसी वेब क्रॉलर के इंडेक्स में ढूंढता है, देखता है कि ये सभी कीवर्ड किस
किस वेब पेज में आ रहा है. लेकिन इसके बारे में तो हजारों लाखों पेज होंगे. ऐसे
में इन कीवर्ड की रेलेवेंसी देखि जाती है मतलब ये सभी कीवर्ड एक साथ किस वेबसाइट
में आ रहे है. इनमे से मैक्सिमम कितने वर्ड्स टाइटल में है. पोस्ट यानि आर्टिकल
में ये वर्ड्स कितनी बार रिपीट हुए है, ये कीवर्ड URL में भी है या नहीं.
मतलब ना जाने कितने तरह
के रूल्स को फॉलो करके गूगल एक पेज को शो करता है, एक और चीज जो गूगल देखता है वो है लिंकिंग, मतलब गूगल देखता है कि किस किस ने उस पेज को शेयर किया है, किस पेज को सबसे ज्यादा बार रेफेर किया गया है, अपने
वेबपेज के साथ लिंक किया है, वो वेबसाइट कितनी पोपुलर है
उसकी औथेंसिटी कितनी है वगरह वगरह.
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Google ke Kam Karne ka Process |
तो दोस्तों इतनी सारी
चीजों को देखने के बाद ही गूगल आपको रिजल्ट्स शो करता है, जिसमे से हम ज्यादातर पहले पेज
वालों को ही ओपन करते है जिनमे हमे हमारा जवाब आसानी से मिल ही जाता है. बहुत कम
चांसेस पर ही दुसरे या तीसरे पेज को ओपन करना पड़ता है. आजकल तो गूगल इंटेकटिव
कार्ड भी दिखाता है जहाँ आपको आपके सवाल का स्टिक जवाब मिलता है. कहने का मतलब यही
है कि गूगल ने सब कुछ बहुत इजी कर दिया है.
क्विक रिजल्ट्स :
अब तो गूगल कुछ ऐसा हो
गया है जो हमारे सर्च को इस तरह पकड़ता है कि जब भी हम कुछ सर्च करते है तो सजेशन
में हमे उससे रिलेटेड चीजें ही दिखाई जाती है. जैसेकि अगर आप फनी चीजें पढने या देखने
के शौक़ीन है तो आपको फनी चीजों से जुड़े सजेशन्स ही दिखाए जाते है. ऐसे में ये पता
चलता है कि चाहे सर्च इंजन कोई भी हो वो तरह तरह के अल्गोरिथम इस्तेमाल करता है और
तो और आपकी हिस्ट्री और आपके सर्च को देखते हुए ही आपको ऐडस भी दिखाए जाते है.
मतलब अगर आज आपने जीन्स
या टीशर्ट सर्च कर ली तो थोड़ी देर बार आपको हर वेबसाइट पर जीन्स और टीशर्ट के ऐड
ही दिखाई देंगे. तो ना जाने कितनी तरह की चीजें गूगल सर्च के लिए काम करती है, जिसे समझना इतना तो आसान नहीं है,
चाहे फिर बात उनके क्रॉलर की हो, स्पाइडर की
हो या इंडेक्स की. इतना सब कुछ होने के बाद भी गूगल अपनी प्राइवेसी पॉलिसीस में
कोई ढील नहीं बरतता, जोकि बहुत अच्छी बात है. तो दोस्तों
उम्मीद है कि आप भी गूगल सर्च के बेसिक वोर्किंग प्रोसेस को तो जरुर समझ गये
होंगे. अगर फिर भी आपका कोई सवाल या राय हो तो आप कमेंट में जरुर बतायें.
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Kaise Kam Karta Hai Google ka Search Engine |
गूगल सर्च के काम करने के
तरीके के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर
सकते हो.
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गूगल सर्च से सम्बंधित जानकारी काफी उपयोगी है |बहुत -बहुत धन्यवाद !
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