घटस्थापना कैसे करें (Ghat Sthapna)
घट कलश को कहा जाता हैं. कलश का प्रयोग हम आमतौर पर पीने का पानी रखने के लिए करते
हैं. लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से कलश का प्रयोग नवरात्रों के दिनों में माँ
दुर्गा की पूजा करने के लिए किया जाता हैं. क्योंकि बिना कलश की स्थापना किये
नवरात्रे की पूजा की ही नहीं जा सकती. हम सभी प्रयास करते हैं कि नवरात्रों की
पूजा पूरे नियम और विधि विधान से करें. जिससे माँ की कृपा हम सभी को
प्राप्त हो सके. नवरात्रों की पूजा का एक अहम हिस्सा हैं कलश की स्थापना करना
तथा कलश की स्थापना करने के बाद ही पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया
हैं. आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगें कि पूजा का शुभ एवं पूर्ण फल प्राप्त
करने के लिए घट की स्थापना किस प्रकार करनी चाहिए. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT माँ दुर्गा के पवन नवरात्रे ...
Navratre mein Ghatsthapna Kaise Karen |
घटस्थापना करने की विधि (Ghat Sthapna Method) –
1.घट स्थापना करने के लिए जिस स्थान पर कलश स्थापित करना हैं
उस स्थान पर गंगाजल का छिडकाव करें.
2.अब अष्टदल बना लें.
3.उसके ऊपर एक लकड़ी का पाट रखें.
4.इसके पश्चात् एक लाल रंग का कपडा लें और उसे पाट
पर बिछा दें. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT दशहरा विजयादशमी की शुभकामनाएं ...
नवरात्रे में घटस्थापना कैसे करें |
5. अपने हाथ में थोड़े से चावल लें और गणेश जी का
नाम लेकर उन्हें इस कपडे पर अंकित चित्र पर पांच जगह थोडा – थोडा चावल रख दें.
इन जगहों पर पांच गणेश, मातृका, लोकपाल, नवग्रह तथा वरुण देवता को स्थापित करें
और दोनों हाथों को जोडकर इन देवताओं से अपना – अपना स्थान ग्रहण करने के लिए
आग्रह करें.
6.इसके बाद इन सभी देवतों को गंगाजल से स्नान कराएँ.
7.अब कलावा लें और प्रत्येक देवता पर तीन बार कलावा
लपेटकर उन्हें वस्त्र प्रदान करें.
8.इसके बाद पाट के समक्ष मिटटी रखें और उसमें जौ
मिला लें. इसके पश्चात् कलश लें और उस में जल भर लें.
9.अब थोड़ा सा गंगाजल लें और निम्नलिखित मन्त्र का जाप
करते हुए इसे कलश में डाल दें.
मन्त्र :
ॐ वरुणाय नम:
ॐ वरुणाय नम:
10. अब एक आम का पल्लव लें और उसे कलश के ऊपर रख दें.
11. इसके बाद एक कटोरी में कच्चा चावल या जौ लें
और उसे कलश के ऊपर रख दें.
Kalash Sthapna Karne ke Niyam Vidhi |
12. अब एक कच्चा नारियल लें और उसे लाल रंग की चुन्नी
से लपेट दें. इसके बाद इस नारियल को अपने माथे से लगाने के बाद वरुण देवता
का नाम लेकर इसे कलश के ऊपर रख दें.
13. इसके बाद कलश को पाट पर स्थापित कर दें. कलश पर लाल
रंग का मौली का धागा बांधे, रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं.
14. अब माँ दुर्गा की मूर्ति लें और उसे पाट पर
स्थापित कर लें. इसके बाद माँ दुर्गा की षोडशोपचार और पूरे विधि विधान के
साथ की पूजा करें, दीप धूप प्रज्वलित करें.
अखंड ज्योत (Akhand Jyot)
यदि आप माँ के नवरात्रे के पूरे नौ दिन अखंड
ज्योत प्रज्वलित करना चाहते हैं, तो सूर्य देव का ध्यान करें और उसे जला
लें. ध्यान रखें कि यह ज्योत पूरे नौ दिनों तक जलती रहें. ज्योत जलाने के
बाद अपने हाथ में एक फूल लें और मन में संकल्प लें कि “आज
नवरात्रे की प्रतिपदा से आपकी अराधना अमुक कार्य के लिए कर रहा हूँ या कर रही हूँ,
मेरी पूजा को स्वीकार कर मेरे इस इष्ट कार्य को सिद्ध करों.”
Maa Durga ki Aradhana Kaise Karen |
पूजा – पाठ (Worship)
इसके बाद निम्नलिखित निर्वाण मन्त्र का
जाप करें और पूजा की सामग्री को अर्पित कर दें. इस मन्त्र को अमोघ
मन्त्र का माना जाता हैं. इसके बाद यदि आपके पास श्रृंगार का सामान हो तो
उसे भी माँ के समक्ष चढ़ा दें.
Navratri ki Pooja |
अगर सप्तशती का पाठ करें और यदि आप केवल कवच
का पाठ करना चाहते हैं. कवच के साथ माँ दुर्गा के नौ स्वरूप का स्त्रोत का
पाठ भी करें. इसके बाद आरती करें. नवरात्रे की पूजा के लिए आप एक
साथ एक दिन में 11 पाठ भी दुर्गा सप्तशती के कर सकते हैं. लेकिन यदि आप ऐसा
करते हैं तो 8 वें दिन हवन अवश्य कराएं और उसमें नवचंडी के 108 रूपों का
नाम लेकर आहुती डालें और नवरात्रे की पूजा सम्पन्न करें. इससे आपकी पूजा
पूरे विधि –विधान से सम्पूर्ण हो जाएगी और माँ दुर्गा की पूजा का आपको शुभ
फल प्राप्त होगा.
घटस्थापना के साथ – साथ अन्य पवित्र
दिनों की पूजा के नियम और विधान जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी
हासिल कर सकते हैं.
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