पैर को हाथ लगा कर ही
प्रणाम करे ( Touch
Elders Feet While Greeting Them )
आज की इस आधुनिक हो चुकी
दुनिया में हम अपने बड़ों को हाय तथा हेल्लो कह कर सम्बोधित करते हैं. नमस्कार करने
की ये क्रिया किसी शास्त्र या ग्रन्थ से नहीं मिली है बल्कि हमने खुद को आधुनिक
दिखाने के लिए और अहम में इसे बनाया है. हमारे शास्त्र और पुराण हमें यही बताते है
कि अपने से बड़ों को उनके पैरों को हाथ लगा कर नमन करना चाहिये. जिससे वो अपना हाथ
हमारे पीठ पर रखेगे जो कि बहुत अच्छा और शुभ माना जाता हैं.
लेकिन आज कल के युवा और
बच्चे सबको हाय और हेल्लो कहने में अपने आप को आधुनिक मानते हैं. शायद उन्हें
अंदाजा नहीं हैं कि वो ऐसा करने से कितने अच्छे और महत्वूर्ण शिष्टाचार पीछे छोड़ते
आ रहे हैं. अगर आप किसी को हाय और हेल्लो के स्थान पर नमस्ते भी कह रहे हैं तो वो
तो सामने वाले के अपमान के बराबर माना जाता हैं. क्योंकि नमस्ते दो अक्षरों से मिलकर बनता हैं. एक तो “नमस:” और
दूसरा “ते” से और
इस ते का मतलब है तू, तो यह
सामने वाले का अपमान हुआ. इसलिए नमस्ते की जगह या तो झुक कर पैर छुने चाहिये नहीं
तो हाथ जोडकर और थोडा सा शीश झुका कर प्रणाम भी किया जा सकता हैं. CLICK HERE TO KNOW क्या है गुरु का महत्व ...
Badon ke Charnon ko Chhukar Hee Kare Pranaam |
पैर छूने से मिलती है
सकारात्मक ऊर्जा ( Touching
Elders Feet Gives Positive Energy ) :
पैरों को हाथ लगाना बड़ा
ही शुभ माना जाता हैं. इसका उदहारण इस बात से लिया जा सकता हैं कि जब हम अपने से
बड़ों के पैरों को हाथ लगाते हैं तो हमारी प्राण उर्जा उनकी प्राण उर्जा से मिल
जाती हैं. निम्न स्तर के लोगों को प्रणाम किया जाता है तो उसमे ज्यादातर हानि की
सम्भावना ज्यादा रहती हैं. क्योकि उस अवस्था में सारी प्राण प्रवाह उल्टी बहने
लगती हैं. नमस्ते करने के लिए, दोनों हाथों को जोड़ कर और दोनों आँखों को बंद कर के और थोडा सा शीश झुकाया
जाता हैं. इस क्रिया में दोनों हाथों को दोनों बाहों के बीच रखकर शीश झुकाकर और
दोनों हाथों को दिल के पास लाकर नमस्ते किया जाता हैं. परन्तु जरूरी नहीं की
नमस्ते करते समय ये शब्द बोले जाये. जो अवस्था अभी हमने बताई है उसमे ये सब शब्द
बोलने की जरूरत नहीं होती वो अवस्था अपने आप सब कुछ बयां कर देती हैं.
साधू चरण स्पर्श क्यों
नही करने देते ( Why
Saints Reject to Touch Their Feet ) :
आपने कभी किसी उच्च कोटि
के साधू महाराज के चरणों को स्पर्श करने का प्रयत्न किया होगा लेकिन उन्होंने आपके
इस सुझाव को मना कर दिया होगा. ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि सभी साधू और उच्च कोटि के महापुरुषों की
सारी उर्जा उनके चरणों में ही समाई होती हैं और वो आपको अपने चरण स्पर्श इसलिए
नहीं करने देते की कहीं उनकी प्राण उर्जा आपमें समाहित न हो जायें. ये वो प्राण
उर्जा होती हैं जो उन्होंने अपने तेज और तप से अपने अंदर हासिल की हुई होती हैं.
अगर वास्तविक साधू चाहे तो अपने शिष्य या किसी भी साधारण इंसान को एक पल में ही
अति शक्तिशाली बना सकता है. CLICK HERE TO KNOW कैसे करें सूर्य देव को नमस्कार ...
बड़ों के चरणों को छूकर ही करें प्रणाम |
चरण स्पर्श करने की
परम्परा बहुत लम्बे समय से चली आ रही हैं. इसका कोई इतिहास भी निकल कर सामने आने
को तैयार नहीं हैं अर्थात इसका पीछे का कोई इतिहास नहीं मिलता है कि चरण स्पर्श
करने की परम्परा किसने विकसित की और कर यह शुरू हुई. अगर इतिहास दर्शन करे तो
सनातम धर्म में चरण स्पर्श परम्परा को अति उत्तम माना गया हैं. सीधे तौर पर चरण
स्पर्श के कई फायदें भी हैं.
चरण स्पर्श के लाभ ( Benefits of Touching Feet ) :
· चरण छुने का सीधा सा एक अर्थ होता हैं कि सामने
वाला इंसान आपको पूरी श्रद्धा से नतमस्तक होकर विनम्र प्रार्थना कर रहा हैं.
· इसका साधक पर बहुत ही अच्छा और सकारात्मक प्रभाव
पड़ता हैं.
· इससे आप किसी के भी आचरण को प्रभावित कर सकते हैं.
· बड़ों के आशीर्वाद से हमको आयु, धन, और ना
जाने कितने अच्छे अच्छे और मूल्यवान रत्नों की प्राप्ति होती हैं.
· इंसानी पैर के अंगूठे में शक्ति प्रसार करने का
साहस होता हैं अर्थात इंसानी पैर का अंगूठा शक्ति संचार करने में सहायक होता हैं.
Greet Elders by Bow Down and Touching Their Feet |
· कई तरह के ग्रह भी आपके अनुकूल चलेंगे अगर आप भी
नियमित तौर पर अपने बुजुर्गो के चरण स्पर्श करते हैं तो. चरण स्पर्श करने से समाज
में एक अलग तरह की छवि भी कायम हो जाती है.
· प्रणाम करने का सबसे अधिक फायदेमंद कारक है कि ये
आपके अहंकार को समाप्त कर देता हैं और अगर एक बार आप अहंकारहिन हो गये तो उसके बाद
आप गुस्सा करना भी कम कर देंगें और इससे आप दुसरे लोगों के बीच एक सकारात्मक छवि
के तौर पर जागृत होंगे.
हमारे शरीर को एक
सकारात्मक उर्जा की अति आवश्यकता होती है और उसके लिए आपको कही भी जाने की जरूरत
नहीं है. इसकी लिए आप किसी भी बुजुर्ग के चरण स्पर्श करे इससे जो अवस्था बनेगी वो
आपको एक सकारात्मक उर्जा देने के लिए काफ़ी होंगी. इसके लिए आपको बस करना इतना है
कि किसी बुजुर्ग के चरण स्पर्श करें और फिर इससे बुजुर्ग इंसान आपके सिर के उपरी
भाग को स्पर्श करेगा, और हमारा
हाथ उनके चरणों को स्पर्श करता हैं. ऐसा माना भी जाता हैं की इस अवस्था से उस
बुजुर्ग इंसान की सकारात्मक उर्जा आपके शरीर के अंदर प्रवाहित होने लगती हैं और यह
उर्जा आपके शरीर में मानसिक विकास करने में मदद करती हैं.
पैरों को स्पर्श कर करना चाहियें नमन |
वैज्ञानिक क्या कहते है ( Scientific Perspective Over Touching Feet of
Elders )
अगर आपको याद हो तो हमारे
एक वैज्ञानिक ने हमे एक नियम दिया था और वो नियम था गुरुत्वाकर्षण का नियम. यह
नियम दिया था एक बहुत महत्वपूर्ण और उच्च स्तर के वैज्ञानिक न्यूटन ने. उन्होंने
कहा था कि दुनिया में हर एक चीज इस नियम से बंधी है और इसी तरह है चरण छुने की
अवस्था. हमारे शरीर पर भी यही एक नियम लागु होता हैं. हमारे शरीर में हमारे शीश को
उत्तरी ध्रुव माना जाता है और पैरो को दक्षिणी ध्रुव माना जाता हैं. इसके अनुसार
गुरुत्व और चुम्बकीय उर्जा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश करके दक्षिणी ध्रुव से निकल
जाती हैं. इसका मतलब की शरीर में उर्जा हमारे शीश के अंदर से प्रवेश करके हमारे
पैरों तक प्रवाहित होती हैं और हमारे पैरों में अर्थात दक्षिणी ध्रुव में असीमित
अवस्था के लिए स्थिर हो जाती है और इस तरह से पैरों में उर्जा का एक केंद्र बन
जाता हैं. और इसी केंद्र को जब हम अपने हाथों से छुते है तो इस क्रिया को ही चरण
स्पर्श कहते है.
हमारे मानव शरीर पंच
तत्वों से मिलकर बना होता हैं और वो पंच तत्व हैं पानी, आग, मिटटी,
हवा, आसमान. और ये पंच तत्व सजातीय तत्वों को
अपनी और आकर्षित करते हैं. जैसे: मित्रता, स्नेह, ममता, और प्रेम. यह आकर्षण एक तरह से चुम्बकीय गुण
का काम करता हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार हर एक जीवधारी में एक ही समय में तीन
वैज्ञानिक सिधांत एक साथ कार्य करते हैं.
§ चुम्बकीय उर्जा
§ तात्विक उर्जा
§ विधुतीय उर्जा
Charan Sparsh par Vigyaanik Drishtikon |
हम प्रतिदिन नए लोगों से
मिलते हैं. उनमे से कुछ को हम भूल जाते हैं और कुछ को हम याद रखते हैं. जिन
मित्रों को हम याद रखते हैं, उनके साथ हमारा मित्रता और बहुत ज्यादा घनिष्ठ सम्बन्ध बन जाता हैं और ये
घनिष्ठता चुम्बकीय गुण के कारण ही होती हैं. जब हम किसी श्रेष्ठ इंसान के चरण
स्पर्श करते हैं तब उनकी सारी सकारात्मक उर्जा आपमें प्रवाहित होने लगती हैं और
इससे आपके अंदर के सारी नकारात्मक उर्जा खत्म होने लगती हैं. सकारात्मक उर्जा चरण
स्पर्श करने से मिल जाती हैं.
पैर छुने से कोई छोटा या
बड़ा नहीं बन जाता है अपितु इससे हमारे गुण ही बढ़ते हैं. और वास्तव में यह कोई
परंपरा या बंधन नहीं है यह एक विज्ञान है यह हमारे शारीरिक और मानसिक विकास से भी
जुड़ा है. पैर छुने से केवल आशीर्वाद नहीं मिलता बल्कि इससे शारीरिक कसरत भी होती
हैं. झुककर पैर छुने से एक तो कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता हैं. दूसरा इससे
हमारे पैरों के जोड़ों में आराम मिलता हैं यह हमारे शरीर के तनाव को भी कम करता
हैं. चरण छुने की क्रियामें झुकने से सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ता हैं जो की
स्वस्थ्य और हमारी आँखों के लिए अति लाभदायक होता है.
रोजाना उठने के पश्चात, अपने से बड़ो के चरण छुने से दिन
अच्छा व्यतीत होता हैं. सुबह उठने के बाद अपने माता, पिता के
चरण अवश्य छुने चाहिये. ऐसा करने से हमारे कार्य शेत्र में सफलता के संभावनाएं बढ़
जाती हैं. इससे हमारा स्तर भी बढ़ता है और हमारे शरीर को प्रतिदिन सकारात्मक उर्जा
और गुण प्राप्त होते हैं.
पैरों को छूकर नमन करने के
लाभ और उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे
कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Bujurgon ke Pair Chhune se Milti Hai Sakaratmak Urja |
पैरों को स्पर्श कर करना चाहियें नमन, Charan Sparsh par Vigyaanik
Drishtikon, Bujurgon ke Pair Chhune se Milti Hai Sakaratmak Urja, Kamyaabi ke
Liye Sparsh Karen Mata Pita ke Pair
YOU MAY ALSO LIKE
No comments:
Post a Comment