स्वर्णप्राशन ( Suvarna Prashana )
आयुर्वेद में
स्वर्णप्राशन बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. स्वर्णप्राशन का अर्थ है कि बच्चों को सोना चटाना. बच्चों का सोलह संस्कार किया जाता है जिसमें
स्वर्णप्राशन सबसे मुख्य संस्कार है, स्वर्णप्राशन को
स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहते
हैं. गाय का घी और शहद के
मिश्रण के साथ स्वर्ण को मिलाकर बच्चों को दिया जाता है.
जहाँ रोगों को ख़त्म करने के लिए
दवाइयों की सलाह दी जाती है तो वहीँ आयुर्वेद में स्वर्णप्राशन की सलाह दी जाती है. स्वर्णप्राशन का सीधा संबंध बच्चों की सेहत से है. स्वर्ण को हमारे शरीर के लिये सबसे श्रेष्ठ धातु माना गया है साथ ही सदियों से ही इसका हमारे जीवन में विशेष महत्व रहा है. स्वर्ण बच्चों के साथ साथ बड़ी उम्र के व्यक्तियों के लिए भी बहुत लाभदायी होता है. ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है, अनेक जगह तो
स्वर्णप्राशन के दान को सर्वोत्तम दान तक माना जाता है. CLICK HERE TO KNOW घर पर च्यवनप्राश कैसे बनायें ...
Suvarn Praashan Sanskar Kab or Kisko |
स्वर्णप्राशन करने के
कारण ( Causes of Suvarna Prashan Rites Sanskaar ) :
पुराने ज़माने में राजा
महाराज सोने के बर्तन में खाते थे, अत्यधिक सोने के आभूषण पहनते थे, इसके पीछे एक कारण होता था और वो कारण था कि सोना कैसे भी करके शरीर के अंदर चला जाये. हमारे
पूर्वजों का मानना था कि जब सोने के बर्तन में भोजन किया जाता है तो सोना घिसता हुआ भोजन के साथ ही हमारे शरीर में चला जाता है, जिससे शरीर को सोने के गुण प्राप्त होते है और वो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढाता है, साथ ही ये हमारे बौधिक और मानसिक स्तर में भी इजाफा लाता है क्योंकि ये ( सोना ) एक तेजपूर्ण धातु है.
स्वर्णप्राशन संस्कार का
सही समय ( Right Time for Suvarna Prahsan Rites )
16 संस्कारों में से एक स्वर्णप्राशन का अपना एक अलग महत्व है. अब से तीन चार दशक पहले जब
बच्चे का जन्म होता था तब हमारे बुजुर्ग इस संस्कार को अपनाते थे अर्थात सोने या चांदी की धातु से बने बर्तन से बच्चे की जीभ पर शहद लगाते थे. इसी संस्कार को स्वर्णप्राशन कहा जाता
है. आज भी असंख्य व्यक्ति इस संस्कार को अपनाते है. लेकिन शहरों में बढ़ते आधुनिकीकरण के
कारण वहाँ के लोग हर संस्कार और प्रथा को भूलते जा रहे है. किन्तु स्वर्णप्राशन का सदियों के
बाद भी अस्तित्व में रहना उसकी खासियत को दर्शाता है. CLICK HERE TO KNOW च्यवनप्राश की विशेषताएं ...
सुवर्णप्राशन संस्कार कब और किसको |
स्वर्णप्राशन में स्वर्ण
के साथ साथ गाय का घी और शहद मिलाया जाता है. इसे बच्चे के जन्म से लेकर पूरी बाल्यवस्था तक
चटाना चाहिए, अगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो कम से
कम छः महीने तक तो नवजात को स्वर्णप्राशन का सेवन अवश्य कराएँ. यदि बच्चे को स्वर्णप्राशन नही करा पाए तो कोई बात नही, बाल्यवस्था 12 साल तक रहती है इस बीच कभी
भी स्वर्णप्राशन शुरू कर सकते हैं.
स्वर्णप्राशन से होने
वाले लाभ ( Benefits from Suvarna Prashan ) :
- स्मरण शक्ति बढ़ाएं ( Increases
Memory Power )
: यदि अच्छी तरह बना हुआ स्वर्णप्राशन किसी बालक को कराया जाये तो उसकी स्मरण शक्ति
प्रबल रहती है, उसे एक बार का कहा हुआ काफी समय तक
याद रह जाता है ऐसे बच्चों को तेजस्वी बच्चों में
गिना जाता है.
- रोगों से बचाएं ( Protects
from Disease )
: बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. बच्चे बीमारियों के संपर्क में कम
ही आते हैं. स्वर्णप्राशन से बच्चे को शुरू से ही
रोगों के प्रभाव से बचाया जा सकता है.
- बुद्धिमान बनाएं ( Makes
you Intelligent )
: स्वर्णप्राशन से शारीरिक और मानसिक विकास होता है जिसके कारण बच्चे हमेशा के लिए
चतुर और बुद्धिमान हो जाते हैं.
When and to Whom offer Suvarna Praashan Sanskar Rites |
- स्वर को मीठा बनाये ( Sweeten Throat ) : स्वर्णप्राशन की धातु बच्चे के गले से होकर शरीर में जाती है और सोना गले के स्वर के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
- शारीरिक क्षमता बढ़ाये ( Increases Physical Strength ) : स्वर्णप्राशन से बच्चों की शारीरिक क्षमता बढ़ती है वह अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होते हैं.
- पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे ( Keeps Digestive System Healthy ) : स्वर्णप्राशन का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की पाचन
क्रिया भी सुचारू रूप
से चलती रहती है, उनकी भूख बराबर बनी रहती है, खाना खाने का मन भी करता है और बच्चे नखरे भी नही करते.
- चेहरे पर सुन्दरता लाये ( Glow Skin ) : स्वर्णप्राशन करने वाले बच्चों के रंग और रूप में निखार आता है.
स्वर्णप्राशन संस्कार एक
बच्चे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इससे बच्चे का भविष्य उज्जवल बनता है इसीलिए हर बच्चे का स्वर्णप्राशन अवश्य होना
चाहियें. इसके अलावा ये संस्कार निरोगी, कांतिवान और
दीर्घायु दाता भी है. लेकिन
ध्यान रहें कि स्वर्णप्राशन को अपनाने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या चिकित्सक से सलाह मश्वरा अवश्य ले लें.
सुवर्णप्राशन संस्कार विधि
और फायदों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
कर सकते हो.
स्वर्णप्राशन संस्कार के कारण लाभ |
स्वर्णप्राशन संस्कार के कारण लाभ, Suvarna Prashan, Swarn Prashana ka Sahi
Waqt, Kaise Banta Hai Suvarna Prashan, Svarn Bindu Praashan, Sone ko Chatne
Wala Sanskar
YOU MAY ALSO LIKE
What is quantity of suwar bhasam (स्वर्ण भसम ),honey (शहद), cow ghee ( गाय का घी ) for making of suwaran prash
ReplyDeleteMere bacche ki umra 4 saal hai.lekin uski hight aur weight bhi kam hai.iske liye Kya Kare.
ReplyDeleteAge ke hisab se kitna dena he..?
ReplyDeleteAge ke hisab se kitna dena chahiye
ReplyDelete