डोकलाम विवाद
16 जून 2017 को शुरू हुए
भारत चीन डोकलाम विवाद से कौन अनजान है, स्थिति ऐसी बनी हुई है कि सिर्फ 1 गलती दो सशक्त
सैन्य ताकतों के बीच युद्ध का कारण बन सकती है. भौगोलिक रूप से देखा जाए तो चुंबी
घाटी में स्थित डोकलाम का ये इलाका भारत, भूटान और चीन तीनों
के बॉर्डर के तिराहे पर आता है और ये भारत के नाथुला पास से सिर्फ 15 किलोमीटर की
दुरी पर पड़ता है. सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो डोकलाम भारत, सिक्किम और चीन तीनों देशो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और चीन यहाँ हाईवे
बनाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारतीय सेना नहीं चाहती कि वहाँ कोई हाईवे बने,
इसका कारण है कि ये हाईवे चीन की डोकलाम तक आवाजाही सुलभ बना देगा,
उसके बाद चीन आसानी से भारत के पूर्वी राज्यों को जोड़ने वाले चिकन
नेक तक आसानी से पहुँच जाएगा और उसका गलत लाभ भी उठा सकता है. CLICK HERE TO KNOW RAW में कैसे भर्ती हो ...
डोकलाम विवाद पर भारत ने चीन को याद दिलाई नानी |
भारत, चीन और भूटान के बीच समझौते :
सन 1998 में चाइना और
भूटान ने समझौता किया कि वे डोकलाम में हमेशा शान्ति बनाए रखेगें, वहीं भारत 1949 में भूटान से संधि
की थी कि विदेशी नीति और रक्षा मामलों में भारत भूटान की मदद करेगा. 2007 में इस
संधि में एक निर्देश और शामिल किया गया कि भारत को भूटान की रक्षा करने के लिए
उनसे अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है.
चीन की मंशा :
अब मामला ये है कि भूटान
डोकलाम को अपना क्षेत्र बताता है, चीन उसे अपना क्षेत्र बता रहा है वहीं भारत को ये दिक्कत है कि अगर इस
क्षेत्र में सड़क बन गयी तो चीन भारत को उनके पूर्वी देशों से अलग कर सकता है
क्योकि वहाँ जो सड़क बन रही है उसपर 40 हजार टन तक की सैन्य सामग्री को तेजी से
लाया जा सकता है और अगर कभी भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ तो उसमें चीन को भारत के
खिलाफ बहुत सहायता मिलेगी.
लेकिन भारत चीन की इस
मंशा को अच्छी तरह से समझता है इसीलिए भारत नहीं चाहता कि चीन का डोकलाम पर किसी
भी हालत में कब्जा हो. चीन पहले भी ऐसी हरकत तिब्बत में हाईवे बनाकर कर चुका है, लेकिन इस बार भारत किसी तरह की
कौताही बरतने को तैयार नहीं है.
फ्लैग लेवल मीटिंग रही
बेनतीजा :
डोकलाम पर चल रहे विवाद
को खत्म करने के लिए हाल ही में भारत और चीन सेना के मेजर जनरल ने अपने स्तर पर
नाथुला में फ्लैग लेवल मीटिंग की. मीटिंग में चीन ने भारत पर दबाव डाला की भारत
डोकलाम से अपने सैनिकों को हटायें लेकिन भारत ने भी साफ़ कर दिया कि जब तक चीन
डोकलाम से सड़क बनाने वाले उपकरण नहीं हटायेगा भारत की सेना वहाँ से नहीं हटेगी.
मीटिंग के अंत में दोनों ने रिपोर्ट को हेडक्वाटर में रिपोर्ट करने की बात कही और
मीटिंग बिना नतीजे के समाप्त हो गयी.
वैसे इस मीटिंग के बाद लग
रहा है कि इस मीटिंग का भी नकारात्मक प्रभाव ही पड़ेगा. क्योकि ये मामला कुटनीति से
तो सुलझा नहीं तो शायद सेना ही ब्रेक थ्रू करे. हाँ, अगर इस मीटिंग से दोनों देशों का आपसी विश्वास अच्छा
हुआ है तो जरुर कोई नतीजा निकलेगा.
दो महीने पहले शुरू किया
ऑपरेशन अलर्ट :
भारतीय सेना अक्टूबर में
ऑपरेशन अलर्ट मतलब एडवांस एक्सरसाइज करती है, इसमें सेना नीचे के इलाकों से ऊपर ठण्ड मे 15 हजार
फुट की ऊँचाई पर जाकर युद्ध अभ्यास करती है. ताकि सर्दी आने से पहले ही सेना ठण्ड
के हालातों में खुद को ढाल सके. लेकिन इस वक़्त डोकलाम में हालात इतने उलझ चुके है
कि सेना ने 2 महीने पहले ही ऑपरेशन अलर्ट शुरू कर दिया है.
Doklam Vivad Par Bharat ne China Ko Yaad Dilayi Nani |
वैसे ना तो चीन और ना ही
भारत कोई भी बॉर्डर पर असामान्य हरकत नहीं कर रहा है लेकिन दोनों देशों के सेना
युद्ध के लिए तैयार है और अपनी सैन्य शक्ति को परखने में लगी है ताकि किसी भी तरह
की स्थिति पर तुरंत काबू पाया जा सके. सूत्रों के अनुसार डोकलाम के आसपास के गाँव
और फैक्ट्रीज भी खाली कराई जा चुकी है. क्योकि सारा मामला तीसरे देश में है इसीलिए
हर कदम संभल कर रखना पड़ रहा है.
भारत ने किया प्लान 45
हजार शुरू :
इस वक़्त डोकलाम में 350
से 400 भारतीय सैनिक चीनी सेना के सामने मोर्चा संभाले हुए है लेकिन चीन हवा में
बातें कर रहा है कि भारत ने डोकलाम में अपने सैनिकों की संख्या कम कर दी है और
वहाँ इस वक़्त सिर्फ 40 भारतीय सैनिक है.
लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है
बल्कि भारत के 350 सैनिकों के अलावा चीन से लगे बॉर्डर पर भारत ने “ प्लान 45 हजार ” भी शुरू कर दिया है. इस प्लान में वे 45 हजार सैनिक चुने जाते है जो किसी
भी हालातों में सामना करने के लिए तैयार रहते है.
इनके अलावा अरुणाचल और
असम की सीमा की सुरक्षा के लिए 3 और 4 कॉपर्स के जवानों के साथ 33 कॉपर्स को भी
हाई अलर्ट कर दिया है और उन्हें “ No War No Peace Mode “ पर रखा गया है. साथ ही भारत
के सुखोई फाइटर भी तैयार है. इन सब बातों से एक बात तो साफ़ है कि भारत अपनी सेना
को कम करने के बजाय युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है.
अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी
के सामने चीन ने रखा अपना पक्ष :
इंडियन एक्सप्रेस के
अनुसार, चीन ने
एक बंद कमरे में हुई बैठक में विदेशी राजनायकों के सामने डोकलाम विवाद पर अपना
पक्ष रखा है. इस बैठक में G-20 और UN के कुछ स्थायी सदस्यों को शामिल किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने बैठक में कहा कि डोकलाम उनका इलाका है, साथ ही उन्होंने कुछ ऐसी रसीदें दिखाई जिसमें चीन ने भूटान के लोगों को
डोकलाम में घास काटने की अनुमति दी थी. UN के 5 में से एक सदस्य ने बताया है कि चीन कह रहा
है कि अभी तक तो उनकी सेना डोकलाम में ही रुकी हुई है लेकिन वे अधिक दिनों तक
इंतजार नहीं करने वाले है.
अमेरिका ने कहा चीन दिख
रहा है टीनेजर :
जहाँ भारत और चीन डोकलाम
को लेकर एक दुसरे के सामने खड़े है वहीं अमेरिका ने ब्यान दिया है कि इस मामले में
भारत मैच्योर दिखा रहा है, तो चीन
टीनेजर जैसी हरकत कर रहा है. अच्छा होगा कि चीन बात को समझे और सही निर्णय लें.
ब्यान के अनुसार दोनों देशों को सबसे पहले आमने सामने बैठकर एक दुसरे की बात को
समझना चाहियें और शांति से इस समस्या का हल निकलना चाहियें.
वहीँ हीथर नोर्ट का कहना
है कि “ हमारे
संबंध दोनों ही सरकारों के साथ है और हम यही चाहते है कि दोनों आपस में ना झगड़ें “,
उन्होंने भी दोनों पक्षों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया.
चीनी मिडिया और
अधिकारियों की धमकी :
चीनी मिडिया और अधिकारी
बार बार भड़काने वाले बयान दे रहे है ताकि भारत कोई गलती कर बैठे लेकिन अच्छी बात
ये है कि भारत उनके किसी भी बयान पर रियेक्ट नहीं कर रहा है. चीनी मीडिया का कहना
है कि अगर डोकलाम में 1 भी भारतीय जवान है तब भी ये चीन की सम्प्रभुता पर हमला माना
जाएगा. उन्होंने तो ये भी कह दिया है कि भारत और चीन के बीच युद्ध का काउंट डाउन
शुरू हो चूका है. साथ ही चीन बार बार 1962 में हुए युद्ध को भी याद दिला रहा है और
कह रहा है कि अगर भारत नहीं चाहता कि उनके साथ ये दोबारा हो तो अपनी सेना को वापस
ले ले.
वहीं एक चीनी अधिकारी ने
कहा कि इस मुद्दे पर भारत से बातचीत करने का कोई सवाल ही नहीं बनता क्योकि चीनी
जनता को अपनी सरकार पर विश्वास है कि हम जो भी कर रहे है वो सही है.
भारत को इस हथियार का है
सबसे ज्यादा ख़तरा :
जैसे जैसे दिन बिताते जा
रहे है वैसे वैसे डोकलाम मुद्दा और भी गहराता जा रहा है. चीन भारत को अंतिम
चेतावनी दे चूका है, तो भारत
ने भी पीछे हटने से साफ़ मना कर दिया है. ऐसे में दोनों देश अपनी सेनाओं को भी
तैनात करते नजर आ रहे है. लेकिन भारत को चीन की सेना और उनके हथियारों से अधिक एक
ऐसे चीज से अधिक ख़तरा है जो भारत में तबाही ला सकता है और वो है “ पानी का वार ”.
Doklam Mudde par India ne China ko Chhathi ka Dudh Yaad Dilaya |
जी हाँ, हम सभी जानते है कि चीन भारत से
ऊँचे स्थान पर है और चीन से ब्रह्मपुत्र, सतलुज और सिन्धु
नदी आती है और वे भारत से गुजरती है. साथ ही चीन ने इन तीनों नदियों पर बड़े बड़े
बाँध भी बना रखे है. ऐसे में अगर चीन कुछ समय इन बांधों का पानी रोक ले और फिर एक
साथ पानी को छोड़ दें तो भारत के कई राज्यों में ऐसी बाढ़ आ जायेगी जिसमें लाखों लोग
अपनी जान गवां सकते है.
सवाल ये है कि क्या
भारतीय सरकार ने इस पॉइंट को नॉटिस किया है और अगर हाँ तो क्या उन्होंने बाढ़ से
निपटने का कोई इंतजाम कर रखा है या नहीं? अगर नहीं तो फिर कब करेंगे?
डोकलाम में सड़क के बाद
लद्दाख में पुल :
अभी एक विवाद सुलझा नहीं
कि चीन ने दूसरी हरकत शुरू कर दी. ख़बरों के अनुसार चाइना ने LAC ( Line of Actual Control ) लद्दाख में पुल बनाना आरम्भ कर दिया है.
Ladakh Autonomous Hill
Development Council के
चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर डॉक्टर सोनल दावा लोपो का कहना है कि वे जल्द ही इस
मुद्दे को भारतीय सरकार के सामने रखेंगें और उन्हें इस पुल के निर्माण को भी जल्द
से जल्द रोकना चाहियें.
डोकलाम विवाद से जुडी अन्य
जानकारियों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल
कर सकते हो.
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