इस वेबसाइट पर किसी भी तरह के विज्ञापन देने के लिए जरूर CONTACT करें. EMAIL - info@jagrantoday.com

Note: इस वेबसाइट ब्लॉग पर जो भी कंटेंट है वो मात्र सुचना और शिक्षा के लिए दी गयी है. किसी भी कंटेंट को प्रयोग अगर किया जाता है तो उसके लिए खुद प्रयोग करने वाला ही हर तरह से जिम्मेदार होगा. हमने यहाँ अपने विचार प्रकट किये है. इसीलिए इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं - धन्यवाद

कुछ ख़ास आपके लिए :-

Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana - बेस्ट फुल बॉडी मसाज मालिश पार्लर इन रोहतक हरयाणा

  Best Full Body Massage Maalish Parlour in Rohtak Haryana सबसे पहला प्रश्न तो यही है की हमे बॉडी मसाज या शरीर पर मालिश ( Full Body Massa...

Bhaiya or Bhai Dooj ka Mahattav or Poojan Vidhi | भैया और भाई दूज का महत्तव और पूजन विधि

भाई दूज

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाये जाने वाले इस पर्व को “ यम द्वितीया ” के नाम से भी जाना जाता है. दीपावली के दुसरे दिन मनाये जाने वाले इस पर्व में मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है. इस दिन बहने अपने भाइयों को अपने घर आमंत्रित करती है और उन्हें तिलक करती है. ऐसा माना जाता है कि जो भाई इस दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है, तो उसे और उसकी बहन को यम का भय नही रहता.


भाई दूज पर्व का महत्त्व :

ये पर्व भाई के प्रति बहन के स्नेह का प्रतिक होता है. इस दिन बहने अपने भाइयों के लिए खुशहाली की कामना  करती है, साथ ही उनके उज्जवल भविष्य के लिए आशीष देती है. पौराणिक कथों के अनुसार यमी ( यमुना ) अपने  भाई यम से मिलने के लिए व्याकुल थी तो आज ही के दिन यम देव ने अपनी बहन यमी को दर्शन दिए थे. साथ ही यमराज ने अपनी बहन को वरदान दिया कि इस दिन जो भाई बहन यमुना नदी में स्नान करेंगें उन्हें मुक्ति मिल जाएगी. इसीलिए इस दिन भाई और बहन का यमुना  में नहाने का भी विशेष महत्व माना जाता है. इसके अलावा यमी ने अपने भाई से एक वचन ये भी लिया कि जिस प्रकार यम उनके घर आये है, उसी प्रकार आज के दिन हर भाई अपनी बहन के पास जाए. वस्तुतः इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाई और बहन के बीच सौमनस्य और सदभावना का पावन प्रवाह है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Bhaiya or Bhai Dooj ka Mahattav or Poojan Vidhi
Bhaiya or Bhai Dooj ka Mahattav or Poojan Vidhi

इसके अलावा इस दिन कायस्थ समाज के लोग अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा करते है. कायस्थलोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों और मूर्तियों के माध्यम से करते है, साथ ही वे इस दिन अपने सभी बहीखातो की भी पूजा करते है. चित्रगुप्त ब्रह्मा के पुत्र है, ये पृथ्वी वासियों के पापो और पुण्यो का लेखा जोखा रखते है. इनकी पूजा को दोपहर में करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है. 


इस दिन बेरी पूजन और गोधन कूटने की भी प्रथा को मनाया जाता है. जिसमे गोबर से मानव मूर्ति का निर्माण किया जाता है और उसकी छाती पर ईट रख कर स्त्रियाँ उसे मुसली से तोडती है. 


भाई दूज पूजन विधि :

इस पर्व पर भाई अपनी बहनों के घर जाते है, माना जाता है कि ऐसा करने से दोनों को धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ और सुख कि प्राप्ति होत्ती है. इस दिन सभी बहने अपने भाइयों को एक उचित आसन पर बैठाती है, फिर वे उनकी धुप से आरती उतारती है, इसके बाद उनके माथे पर रोली और चावल से तिलक करती है. साथ ही बहने अपने  भाइयों को फूलो का हार भी पहनती है. इसके बाद वे स्वयं अपने हाथ से अपने भाई की पसंद का खाना बनती है और उन्हें खिलाती है. 
CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Bhai Bhaiya Dooj Wallpapers Images Photos
Bhai Bhaiya Dooj Wallpapers Images Photos

भाई दूज व्रत कथा :

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान सूर्य नारायण जी की पत्नी संज्ञा अपने पति सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामुर्ती का निर्माण करती है और छाया को अपनी संताने यमराज और यमी को सौप कर चली जाती है. छाया को यमराज और यमी से कोई स्नेह नही था, किन्तु दोनों भाई बहनों में विशेष स्नेह था. बड़े होने पर भी यामी अपने भाई के घर जाती और उनका सुख दुःख पूछती, साथ ही वो अपने भाई यमराज से बार बार अपने घर आने का निवदेन करती थी किन्तु अपने कार्यो में व्यस्त होने की वजह से यमराज उनके निवेदन को टालते रहे. इस दिन भी यमुना ने यमराज को अपने घर भोजन का निमंत्रण दिया और उनसे वचन ले लिया कि वो अपने मित्रो के साथ इस बार जरुर आयेंगे.


यमराज ने भी सोच विचार किया और देखा कि वो सबके प्राणों को हरते है तो कोई भी उन्हें अपने पास बुलाना नही चाहता, किन्तु उनकी बहन बार बार उनको सदभावना से बुला रही है तो उनका ये धर्म बनता है कि वो अपनी बहन के पास जायें. तब वो अपनी बहन के घर गये, यमुना का अपने भाई को देखकर ख़ुशी का ठिकाना नही रहा. उसने स्नान करके स्वयं अपने हाथो से अपने भाई की पसंद के पकवान बनायें और स्वयं ही उन्हें परोसा. 


अपनी बहन के आतिथ्य को देख कर यमराज भी बहुत प्रसंन्न हुए और उन्होंने यमुना से कोई वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर यमुना ने बड़े ही प्यार से अपने भाई को कहा कि भाई ! आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो और मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का सादर सत्कार करे और उसका टिका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे. इस पर यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य आभूषण दिए और वापस यमलोक लौट गये. इसी दिन से भाई दूज के व्रत की परंपरा बन गई. इसीलिए भाई दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.


इस दिन के पीछे एक कथा ये भी है कि इससे पहले वाले दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और इस दिन वो अपनी बहन सुभद्रा के पास गये थे. तब सुभद्रा ने अपने भाई श्री कृष्ण का तिलक करके उनका स्वागत किया था और उनके लिए उनकी पसंद के पकवान भी बनाये थे. 
 
भैया और भाई दूज का महत्तव और पूजन विधि
भैया और भाई दूज का महत्तव और पूजन विधि


 Bhaiya or Bhai Dooj ka Mahattav or Poojan Vidhi, भैया और भाई दूज का महत्तव और पूजन विधि, भाई दूज व्रत कथा, Bhaiya Dooj Vraat Katha, Bhai Bhaiya Dooj Wallpapers Images Photos, Bhaiya dooj Blessings, Bhaiya Dooj ki Shubhkaamnayen.




YOU MAY ALSO LIKE  
अलसी के स्वास्थ्य लाभ 
शादी या पार्टी के लिए मेकअप कैसे करें
-  आहार में अलसी कैसे खायें
- कॉलेज और तैलीय तवचा का मेकअप कैसे करें 
- ऑनलाइन फोटो एडिट करना सीखे
- भैया और भाई दूज का महत्तव और पूजन विधि
- व्हाट्स अप्प अकाउंट को कैसे हैक करें 
- ध्यान कैसे करें और इसकी प्रक्रिया 
- ध्यान के विभिन्न प्रकार 
- लड़कों के कान छिदवाने के लाभ 
- हस्ताक्षर बदलेगा भाग्य 
- मेकअप कैसे और क्यों करें

Dear Visitors, आप जिस विषय को भी Search या तलाश रहे है अगर वो आपको नहीं मिला या अधुरा मिला है या मिला है लेकिन कोई कमी है तो तुरंत निचे कमेंट डाल कर सूचित करें, आपको तुरंत सही और सटीक सुचना आपके इच्छित विषय से सम्बंधित दी जाएगी.


इस तरह के व्यवहार के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !


प्रार्थनीय
जागरण टुडे टीम

No comments:

Post a Comment

ALL TIME HOT