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Trackball Kaise Karya Karti Hai | ट्रैकबाल कैसे काम करती है | How Trackball works

ट्रैकबॉल ( Track Ball )

ट्रैकबॉल कंप्यूटर हार्डवेयर का इनपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर स्क्रीन पर एक तरह से कर्सर ( Cursor) का कार्य है. ये एक प्लास्टिक के बक्से में एक बॉल की तरह दिखाई देने वाला यंत्र है. जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर स्क्रीन पर पॉइंट करने के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल आप अपने हाथ की ऊँगली या फिर अंगूठे से आसानी से कर सकते हो. इसके अंदर लगा डिटेक्टर आपके द्वारा डाले गये निर्देश को पढता है और उसी आधार पर काम करता है. माउस की तरह आपको ट्रैकबॉल को नही हिलाना पड़ता बल्कि आपको सिर्फ इसकी बॉल पर अपने हाथ की ऊँगली को फेरना पड़ता है. इसके साथ में बटन भी दिए होते है, जिनका इस्तेमाल आप लेफ्ट और राईट क्लिक के रूप में किया जाता है. इनका इस्तेमाल अब लैपटॉप और नोटबुक में भी किया जाता है. लैपटॉप में ये कीबोर्ड के बटन के बीच में दिया जाता है, जिसकी मदद से आप अपने लैपटॉप की स्क्रीन पर किसी चीज़े को पॉइंट कर पाते हो. ये एक तरह का ऊपर नीचे होने वाला माउस है. ये एक सॉकेट की मदद से एक ही जगह पर जुडा रहता है.  CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
Trackball Kaise Karya Karti Hai
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ट्रैकबॉल कार्य कैसे करता है? :

ट्रैकबॉल अपना कार्य ऑप्टिकल सेंसर को पढ़ कर करता है. ऑप्टिकल सेंसर की मदद से ही ये आपके द्वारा निर्देशित की गई ट्रैकबॉल से जानकारी लेता है. जब भी आप इसे किसी दिशा में हिलाते हो तो इसमें कुछ डॉट हिलने लगते है, तब ट्रैकबॉल में लगा ऑप्टिकल इस हरकत कर पहचान कर कर्सर को हिलाता है और पॉइंटर को आपके द्वारा दी गई जानकारी पर चिन्हित करता है. 


पहले वाली ट्रैकबॉल में एक रोलर दिया होता था ताकि बॉल की हलचल को पहचाना जा सके. इनमे घर्षण का इस्तेमाल होता था जो बॉल की हलचल के विपरीत लगता है. इनमे लगा डिवाइस इन हलचल को X और Y axis के आधार पर पहचानता है. साथ ही इनमे लगे चक्र से एक तार जुडी होती थी जो एक डिस्क से जुडी होती थी. जब इस चक्र को घुमाया जाता था तो एक सर्किट पूरा हो जाता था और कुछ पल्स ( Pulse ) निकलने लगती है. कंप्यूटर इन पल्स के आधार पर जानकारी को प्राप्त करके कर्सर को हिलता था. 


किन्तु आज इसके काम करने का तरीका काफी हद तक बदल चूका है. आज इनमे डिस्क की जगह एक चक्र का इस्तेमाल किया जाता है जिनमे एक छोटा छेद होते है. इस छेद में से LED लाइट निकलती है जो ऑप्टिकल सेंसर को पढ़ती है. एक लाइट इस छेद से गुजरती हुई सेंसर तक पहुँचती है और चलते हुए चक्र में बाधा डालती है, ऐसा करने से कुछ पल्स बनते है. इन पल्स के आधार पर ही जानकारी को पढ़ा जाता है और ट्रैकबॉल कार्य को आरम्भ करती है.  CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
How Trackball works
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ट्रैकबॉल के लाभ :

-    माउस से काम करते वक़्त आपको बार बार माउस को हिलना पड़ता है जिसकी वजह से शारीरिक थकान होती है किन्तु ट्रैकबॉल का इस्तेमाल करने के लिए आपको पूरी ट्रैकबॉल को नही उठाना पड़ता बल्कि आपको सिर्फ अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़ता है.


-    जब आप माउस से काम कर रहे होते हो तो उसके काम करने के लिए आपको टेबल पर थोड़ी जगह को खली रखना पड़ता है ताकि माउस को हिला सको किन्तु ट्रैकबॉल का इस्तेमाल करने के लिए आपको अलग से जगह की जरूरत नही पड़ती. ये अपनी निर्धारित जगह पर ही अपना काम करता है.


-    साथ ही माउस को काम करने के लिए आपको समतल जगह की जरूरत होती है किन्तु आप ट्रैकबॉल को किसी भी तरह की जगह पर इस्तेमाल कर सकते हो.


ट्रैकबॉल से हानि :

-    माउस में लेफ्ट और राईट के बटन को इस्तेमाल करना बहुत ही आसान होता है किन्तु आपको ट्रैकबॉल में इन बटन के इस्तेमाल के लिए थोडी मुश्किल का सामना करना पड़ता है. 


-    इनका आकर भी माउस से काफी बड़ा होता है तो आपको इसमें अपने हाथो की पहुँच बनाने में भी थोड़ी मुश्किलों को झेलना पड़ता है. 


-    इनकी कीमत माउस से बहुत ज्यादा होती है, साथ ही ये माउस की तरह हर हार्डवेयर दुकान पर नही मिलते क्योकि इनको अभी सिर्फ कुछ चुनिंदा कंपनियां ही बनती है. 
 
ट्रैकबाल कैसे काम करती है
ट्रैकबाल कैसे काम करती है

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