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Dason Dishaon ka Gyan | दसों दिशाओं का ज्ञान | Knowledge of All 10 Directions


जाने कौन कौन सी होती है 10 दिशायें ( Know About 10 Directions )
आजकल के शैक्षिक दुनिया में व्यक्ति हर तरह का ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करता है. किन्तु जब बात दिशाओं की आती है तो उन्हें सिर्फ 4 दिशाओं का ही पता होता है. इसका कारण उनके अपनी आधारभूत शिक्षा पर ध्यान ना देना है. इस तरह वे छोटी छोटी जरुरी जानकारियों से वंचित रहते है. लेकिन आज हम अपनी इस पोस्ट में आपको सभी दसों दिशों के बारे में जानकारी देंगे. CLICK HERE TO KNOW दिशाओं से प्राप्त होती है सकारात्मक प्रगति ...
Dason Dishaon ka Gyan
Dason Dishaon ka Gyan
अगर दिशों को समझना है तो एक तरीका है कि आप प्रातःकाल सूरज के सामने खड़े हो जाएँ, इस तरह आपके सामने वाली दिशा उत्तर है और आपके पीछे वाली दिशा दक्षिण होगी. वहीँ आपके दाई तरफ होगी पूर्व दिशा और बायीं तरफ की दिशा होगी पश्चिम. आपके सामने उत्तर और दाए हाथ पर पूर्व के बीच की दिशा को कहेंगे ईशान कोण, वहीँ उत्तर और बायीं तरफ पश्चिम के बीच में होगा वायव्य कोण, आपके पीछे दक्षिण दिशा और पूर्व दिशा के बीच के कोण को आग्नेय कोण कहेंगे तो दक्षिण दिशा और पश्चिम दिशा के बीच होगा नैत्रत्य कोण. इस तरह ये कुल 8 दिशाएँ हो जाती है. इनके अलावा 2 दिशाएं आकाश और पाताल भी होती है. 

§ पूर्व दिशा ( East Direction ) : जैसाकि सभी जानते है कि सूरज पूर्ण दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा माना जाता है. साथ ही वास्तु शास्त्र में इंद्र देव को पूर्व दिशा का देवता बताया गया है. आप अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ कोई भी रुकावट ना रहने दें क्योकि ये दिशा पितृस्थान की द्योतक मानी जाती है. साथ ही अगर पूर्व दिशा खुली रहती है तो घर के मुखिया को दीर्घायु प्राप्त होती है. 

§ पश्चिम दिशा ( West Direction ) : ज्योतिष शास्त्र में वरुण देव जी को पश्चिम दिशा का देवता बताया जाता है और शनि देव को इस दिशा का स्वामी माना जाता है. इस दिशा को हमेशा साफ़ सुथरा रखना चाहियें क्योकि ये दिशा भाग्य और समाज में प्रसिद्धि दिलाने में सहायक होती है.  CLICK HERE TO KNOW वास्तुशास्त्र की दिशाओं का ज्ञान ...
दसों दिशाओं का ज्ञान
दसों दिशाओं का ज्ञान
§ उत्तर दिशा ( North Direction ) : उत्तर दिशा धन की दिशा मानी जाती है इसीलिए कुबेर देव को इस दिशा का देवता माना जाता है. साथ ही बुध इस दिशा के स्वामी है. इस दिशा को आप में हमेशा कच्ची जमीन छुडवानी चाहियें और इस खाली भी छोड़ना चाहियें. इससे घर में धन की देवी लक्ष्मी का आगमन होता है. अगर आप घर में तिजोरी का इस्तेमाल करते है तो आप उसकी स्थापना भी इसी दिशा में करें. 

§ दक्षिण दिशा ( South Direction ) : ये थोड़ी सी ख़तरनाक दिशा मानी जाती है क्योकि ज्योतिष अनुसार इस दिशा के अधिष्ठित देव यम है जोकि नियमों के पालन को सर्वोपरि रखते है. इसलिए इस दिशा में रखा जाने वाला हर सामान नियमानुसार होना चाहियें. तभी घर में सुख शान्ति, समृद्धि और सम्पन्नता बनी रहती है. 
Knowledge of All 10 Directions

Knowledge of All 10 Directions
§ ईशान कोण ( North – East Direction ) : जहाँ तक दो दिशाओं के मिलन की बात की जाएँ तो ये उनमे सर्वश्रेष्ठ दिशा होती है. स्वयं देवों के देव महादेव इस दिशा में विराजमान होते है. इसीलिए इस स्थान को हमेशा शुद्ध और स्वच्छ रखें. घर में पानी की व्यवस्था कराते वक़्त भी आप इसी स्थान को चुनें और बोरिंग व पानी की टंकी इसी कोण में बनवाएं. इस कोण को पूजा के लिए बनी सर्वोत्तम माना जाता है.

§ वायव्य कोण ( North – West Direction ) : इस दिशा को इंग्लिश में Aerial Angle भी कहा जाता है. जैसाकि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि इस दिशा का मूल तत्व वायु है. इसीलिए इस दिशा में खिडकियों का बनवाना लाभदायी होता है. जैसी इस दिशा से हवा आती है वैसे ही आपके बाहर वाले लोगों के साथ संबंध बनते है. इसलिए आप इस दिशा में कभी भी कूड़ा कचरा न डालें. 

§ आग्नेय कोण ( South – East Direction ) : आग्नेय कोण का मूल तत्व अग्नि है और इस दिशा को गर्म दिशा भी माना जाता है. इसकी अग्नि को नियंत्रित रखने के लिए ही इस दिशा में रसोई घर बनवाना सर्वोत्तम होता है. अग्नि देव की इस दिशा में आप बिजली के उपकरण रखेंगे तो उनमें कोई समस्या नहीं आती. अगर ये दिशा वास्तुसम्मत बनी हो तो इस दिशा के स्वामी शुक्र अति प्रसन्न होते है जिससे घर में सकारात्मक वातावरण बन रहता है. 
पारंपरिक 10 दिशायें
पारंपरिक 10 दिशायें
§ नैत्रत्य कोण ( South – West Direction ) : आपने पूतना का नाम अवश्य सूना होगा, वही इस दिशा की अधिपति होती है. साथ ही राहू और केतु दोनों इस दिशा के स्वामी माने जाते है. इस दिशा का मूल तत्व पृथ्वी है. इसीलिए इस दिशा में हमेशा भारी सामानों को रखना उचित माना जाता है. साथ ही घर के इस स्थान को बाकी दिशाओं से थोडा उंचा बनवाएं, ताकि घर में शांति बनी रहे और घर में रहने वालों के मान सम्मान में वृद्धि हो. 

§ आकाश और पाताल ( Sky and Earth Direction ) : जब भी हम हवन, यज्ञ इत्यादि करते है तो उसमें कुछ आहुतियाँ दी जाती है. ये दोनों दिशाएँ हमारे द्वारा दी गयी आहुतियों को अवशोषित करती है और हमे उनके फल को दिलवाने में सहायक होती है.

तो आप भी जब अपना घर ऑफिस इत्यादि बनवाएं तो इन 10 दिशाओं और उनके महत्व को ध्यान में अवश्य रखें. साथ ही इन दिशाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
दिशाज्ञान
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2 comments:

  1. शौचालय की टंकी तथा शौचालय किस दिशा में होना चाहिए।

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