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Maa ke Liye Sirf Ek Hee Din Kyo | माँ के लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों | Why Only One Day for Our Mothers

माँ के लिए सिर्फ एक दिन ही क्यों ( Why Only One Day for our Mother ) ?
भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया जाता हैं तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं की जिस स्थान पर गाय को माता का दर्जा दिया जाता है वहाँ पर स्वयं माँ को क्या दर्जा दिया जाता होगा. भारतीय संस्कृति अपने संस्कारों के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती हैं. लेकिन आज की इस आधुनिक दुनिया में हम कुछ ज्यादा ही आधुनिक होते जा रहे हैं. हम पश्चिमी देशों की सभ्यताएं तो अपनाते जा ही रहे है लेकिन बिना कुछ सोचे समझे. CLICK HERE TO KNOW माता पिता पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...
Maa ke Liye Sirf Ek Hee Din Kyo
Maa ke Liye Sirf Ek Hee Din Kyo
हम जब कोई भी नई चीज को अपनाने की सोचते हैं तो पहले उसके बारे में अच्छे से शौच विचार किया जाता हैं. इस बात को इस उदहारण से समझा जा सकता हैं कि जब भी हम अपने घर में कोई भी नई चीज लेने के लिए सोचते हैं तो उससे पहले हम पुरे परिवार के साथ उस चीज के बारे में विचार करते हैं. ठीक ऐसा ही जब होना चाइये जब हम कोई पश्चिमी चीज या सभ्यता को अपनाये. एक ताजा उदहारण इस कड़ी में जो आता हैं वो है मदर्स डे का, जिसे पश्चिमी देशों में बढे धूमधाम से मनाया जाता हैं. पश्चिमी देशों में हर किसी के लिए एक दिन निश्चित होता हैं. जैसे वहाँ पर पिता के लिए फादर्स डे भी मनाया जाता है. लेकिन पश्चिमी देशों की ऐसे के ऐसे नकल उतरना भी तो सही नहीं हैं और क्या आप जानते है कि वहाँ हर किसी को एक दिन क्यों दिया जाता है व क्यों इन दोनों को मनाया जाता है.

जगतजननी के लिए सिर्फ 1 दिन ही क्यों ( Why Only One Day ) ?
क्या भारतीय संस्कृति इतनी बुरी हो चुकी हैं कि इसमें हमें जन्म देने वाली माता को देने के लिए सिर्फ एक ही दिन बचा हैं. साल के 365 दिनों में से बस एक दिन हम अपनी माँ को देते हैं, जिसे पश्चिमी देशों में मदर्स डे के नाम से संबोधित किया जाता हैं. मतलब की साल में से बस एक दिन हम अपनी माता हो देते है, उसको खूब लाड़ प्यार देते है तो साल के बाकी दिनों का क्या ? उनको कौन ले जाता हैं ? बाकी के दिन हम अपने दोस्तों और अपनी गर्लफ्रेंड को देते हैं जोकि हमारें हैं ही नहीं. जिनके साथ हमे बस थोड़े ही दिन समय व्यतित करना हैं उनको हम अपना सारा समय दिए जा रहे हैं लेकिन जो हमे इस दुनिया में लाया उसको हम समय के नाम पर बस एक दिन दे रहे हैं और वो एक दिन भी हमने दुसरो की संस्कृति से लिया हैं. वो एक दिन भी हमारा अपना नहीं हैं. CLICK HERE TO KNOW मदर डे की शुभकामनाएं ...
माँ के लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों
माँ के लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों
अगर विदेशों में जाकर देखा जाये तो तब आपको बात समझ आएगी कि मदर्स डे और फादर्स डे क्यों बनाये गये थे, तथा इनको बनाने के पीछे उन लोगों का क्या मकसद रहा होंगा. पश्चिमी सभ्यता हमारी भारतीय सभ्यता से पूरी तरह अलग हैं. नोजवान पीढ़ी इन पश्चिमी लोगों की संस्कृति को तो अपनाने लगे हैं लेकिन बिना उनका अर्थ जाने. आधी अधूरी शिक्षा हमेशा परेशानियाँ ही उत्पन्न करती हैं और यह कथन यहाँ पर पूरी तरह से सही बैठता हैं.

पश्चिमी देशों की नकल ( Copied to Western Countries ) :
अगर पश्चिमी संस्कृति की तरफ नजरें घुमा कर देखें तो हम पातें हैं कि वहां पर जन्म के साथ ही बच्चों को बोर्डिंग स्कूल या हॉस्टल में भेज दिया जाता हैं जिससे वो जन्म से ही अपने माता पिता से अलग रहने लगतें हैं. उनके माता पिता भी अपनें कार्य में इतने व्यस्त होते हैं कि उनकों भी इतना समय नहीं मिल पाता की वो अपने बच्चों की देखभाल कर सकें. बोर्डिंग स्कूल में बच्चा अच्छे से पढ़ भी पाता हैं और वहां पर उसकी ठीक से देखभाल भी हो जाती हैं, इसलिए उनको अपनें बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में भेजना ही फायदेमंद लगता हैं. बोर्डिंग स्कूल में होने के कारण ही बच्चों को अपने माता पिता से मिलने का बहुत कम समय मिल पाता हैं. इसी कारण से वहां पर मदर्स डे और फादर्स डे मनाया जाता हैं. जिससे की बच्चें और माता पिता एक दुसरे को अच्छी तरह से मिल पायें.
Why Only One Day for Our Mothers
Why Only One Day for Our Mothers
अब अगर भारत की बात की जायें तो भारत तो देश ही संस्कारों और संस्कृतियों से भरा हैं. इसमें माता को सबसे उच्च स्थान दिया जाता हैं. माता को गाय के समान माना जाता हैं. भारत में तो भगवानों में भी बहुत सी देवियाँ हैं, जिनको हम माता कह कर संबोधित करते हैं. तो फिर इतने उच्च स्थान वाली माँ को हम सिर्फ एक ही दिन क्यों देते हैं. क्या उसका हम पर कोई हक नहीं हैं ? क्या उसका हमे जन्म देनें के बाद हमारे उपर कोई भी अधिकार नहीं बचता ? तो फिर उसके लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों ? अगर माँ को हम पूरा एक साल भी दे दें तो भी शायद कम ही होगा. माँ को बस एक दिन देकर हम न सिर्फ उसका अपमान कर रहे हैं बल्कि साथ ही साथ हम अपनी सभ्यता को भी कलंकित कर रहे हैं.

बात स्पेशल दिन की नहीं समय देने की हैं ( It is not about Special Day ) :
माँ एक ऐसी दया की मूर्त है जो आपको हमेशा ही अच्छा और सबसे अलग महसूस कराती हैं. लेकिन क्या आप उनके लिए कुछ अच्छा और स्पेशल करके, एक दिन के लिए उनको खुश करके, उनका दिल जीत सकते हैं. क्या उनके चेहरे की ख़ुशी वास्तविक ख़ुशी होंगी ? नहीं. अगर आप अपनी माँ के लिए कुछ दिल से करना चाहते हो तो साल के बस एक दिन ही नहीं बल्कि साल के 365 दिनों को उनके लिए स्पेशल बनाये. फिर देखिएगा उनके चेहरे की मुस्कान. जब माँ का मन खुश होता है तो उनके द्वारा आशीर्वाद वरदान का रूप ले लेता है जो आपको सफलता की तरफ ले जाने में सहायक होता है.
सिर्फ एक दिन ही मदर डे
सिर्फ एक दिन ही मदर डे
अगर हम ऐसे ही पश्चिमी सभ्यता की नकल करते रहें तो एक दिन ऐसा आने में देर नहीं लगेगी कि जब आपके बच्चें आपको ही भूल जायेंगे और साल के एक दिन उनको आपकी याद आयेगीं. एक बार इस दिन के बारे में सोचिएं कि जब ऐसा समय आएगा तो आपको कैसा लगेगा. सिर्फ भारत की माँ नहीं, अपितु दुनिया की हर माँ अपने बच्चों को बिना किसी स्वार्थ के प्यार और स्नेह देती हैं. तो इससे आपका भी एक फर्ज बनता हैं कि आप भी उनको बिना किसी स्वार्थ के प्यार दें.

इस दुनिया में सिर्फ माँ ही एक है जो आपको इस दुनिया में लाने से पहले से प्रेम करती थी. जब माँ हमकों किसी स्पेशल दिन प्यार नहीं करती तो हम क्यों मदर्स डे का इन्तजार करें. भूल जाओ ये पश्चिमी संस्कृति की देन. पश्चिमी संस्कृति उन लोगों ने अपने अनुरूप बनाई हुई हैं.

एक बार सोच कर देखिये कि भारत की माताएँ भी अगर साल में एक बार ही सन डेमनाने लगे तो ? तब आपको उनके असली दर्द का राज पता चलेगा. आज कल तो लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर माँ के साथ फोटो डाल देते हैं और साथ में एक सुंदर सी लाइन लिख देते हैं. जिससे उनको उस फोटो और लाइन की बदौलत अच्छे खासे लाइक्स मिल जाते हैं. लेकिन वही बच्चे घर में अपनी माँ के साथ थोडा भी समय व्यतीत नही करना चाहते.

माता पिता के प्रेम भाव और मदर डे या फादर डे के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे  कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो. 
Aakhir Kyo Manaya Jata hai Mother Day
Aakhir Kyo Manaya Jata hai Mother Day

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